दुर्गाशरण दुबे
धौलपुर: चंबल अंचल की कला, प्रतिभा और सिनेमा साहित्य को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के उद्देश्य को लेकर इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया गौरतलब है कि इससे पहले 6 अन्तरराष्ट्रीय चंबल फिल्म समारोह इटावा, औरेया और जालौन जिलों मे आयोजित हो चुके है. इसके 7 वे संस्करण का आयोजन चंबल की गोद मे बसे-रचे अनूठे और अद्भुत चंबलीय संस्कृति के जीवंत शहर धौलपुर मे किया गया.
प्रथम दिवसीय सत्र मे एक भव्य शुभारंभ नगर पारिषद सभागार मे किया गया जिसमें देश विदेश के नामचीन फिल्म साहित्य से जुड़े फिल्म निर्देशक ,कलाकार के साथ साथ चंबल अंचल के कलाकारो ने भी भाग लिया.
प्रथम दिवसीय सत्र मे बौध्दिक परिचर्चा की गयी और स्कूल छात्रों का चंबल जनजीवन विषय पर Rangoli ,पेंटिंग के साथ चंबल घाटी प्रवासी पक्षी पर competition का आयोजन किया गया.
चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल मे जाने माने Film निर्देशक डॉ. मोहनदास, फिल्म ऐक्टर मतीन खान , थिएटर आर्टिस्ट और टीवी कलाकार यतींद्र चतॄवेदी , डॉ. मोहम्मद नईम, फिल्म कलाकार मुकेश वर्मा सहित अन्य तमाम प्रतिष्ठित फिल्मी हस्तियों ने शिरकत की.
प्रोग्राम के आयोजन समिति के अहम सदस्य प्रो.शाह आयाज सिद्दीकी ने कला जगत की तमाम बारिकियों और साहित्य सिनेमा को भारतीय जनजीवन का आईना बताते हुए चंबल रीजन मे कला की तमाम संभावनाओ पर विचार व्यक्त किए.
आयोजन समिति के संयोजक डॉ. शाह आलम राणा ने बताया कि इस फिल्म फेस्टिवल मे 32 देशों की विभिन्न केटेगरी मे 184 फिल्म जिसमें फीचर फिल्म, शॉर्ट फिल्म , डाक्यूमेंट्री, webseries शामिल है.
देर रात तक ज्यूरी कॉमेटी सदस्यों ने आवेदित फ़िल्मों की स्क्रीनिंग कर categoriged किया. फिल्म समारोह का दूसरे दिन बिजोली के सभागार मे आयोजित किया गया जिसके मॉर्निंग सेशन मे ज्यूरी मेंबर्स ने फ़िल्मों की बारिकियों को जांचते हुए उन्हें अवार्ड के लिए नामित किया
वहीं दूसरे सत्र मे स्थानीय कलाकारो ने आमंत्रित फिल्म डायरेक्टर के साथ संबाद कार्यक्रम हुआ जिसमें चंबल की भौगोलिक पृष्ठभूमि के सन्दर्भ मे फिल्म संभावनाओ पर चर्चा की गयी.
इसके बाद रंगारंग प्रोग्राम स्थानीय लोक कलाकारो द्वारा लोकजीवन और संगीत प्रस्तुति दी गयी जो वास्तव मे चंबल रीजन का वास्तविक चित्रण था.
इस फेस्टिवल के अंतिम दिन के अंतिम सत्र मे आवेदित फ़िल्मों मे से स्क्रीन अवार्ड के लिए चयनित फ़िल्मों का केटेगरी अनुसार announce किया.
समारोह की ज्यूरी में डॉ.मोहनदास के साथ साथ अभिनेत्री और मॉडल मान्या पाठक, लेखिका-निर्देशिका डॉ. अनुषा श्रीनिवासन अय्यर, निर्देशक, लेखक एवं व्याख्याता वाल्मिर टर्टिनी, फिल्म निर्माता-निर्देशक जलालुद्दीन गसीमोव ने खासा सहयोग दिया।
चंबल इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल की ज्यूरी ने देश-दुनिया की इन फिल्मों को अलग-अलग कैटेगरी में अवार्ड दिए। फीचर फिल्म कैटेगरी में स्निग्धा बिश्वास और सौरीश डे की फिल्म ‘बाघ’ को बेस्ट फीचर फिल्म का पुरस्कार दिया गया।
धीरज कश्यप की फिल्म ‘ब्रह्मकन्या’ को सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म और वरदराज स्वामी की फिल्म ‘रोमांटिक टुकड़े’ को बेस्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म का अवार्ड दिया गया।
ब्रह्मकन्या के लिए धीरज कश्यप को बेस्ट डायरेक्टर और शिराज हेनरी को ‘मैकेनिक दादा’ फिल्म के लिए बेस्ट सिनेमैटोग्राफी कैटेगरी का अवार्ड दिया गया।
करन किशोर परब को ‘रूप नगर के चीते’ फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर और ‘बनवारी की अम्मा’ फिल्म के लिए सुमन पाठक को बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया। इनके अलावा भी कई अन्य कैटेगरी में अवार्ड दिए गए।
रंगोली, पेंटिंग संगीत प्रतियोगिता के अवार्ड भी दिए गए. कार्यक्रम मे अतिथि फ़िल्मकारो को भी स्मारिका चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
दस्युओ की नर्सरी के उपनाम से फेमस चंबल घाटी की छवि कला साहित्य और दर्शन की पृष्ठभूमि मे इंटरनेशनल लेवल पर स्थापित करने की चंबल परिवार की कवायद का सकारात्मक असर है कि आम लोगों मे इस फिल्म फेस्टिवल को लेकर खासा उत्साह समर्पण देखा गया.
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. राणा ने बताया कि, चंबल की सरजमीं पर यहा के दर्शन से सभी को परिचित कराना उनका उद्देशय है, इसी बात को आगे बढ़ाते हुए फिल्म डायरेक्टर डॉ. मोहनदास और फिल्म ऐक्टर मतीन खान ने कहा कि चंबल घाटी मे अपार Film संभावनाये हैं और आने वाले समय मे यहा फिल्म शूटिंग का बड़ा दौर शुरू होगा.
आमंत्रित Filmfare ने आयोजन समिति के इस भव्य कार्यक्रम की सराहना की और धौलपुर शहरवासियों को धन्यबाद ज्ञापित किया.
चंबल फिल्म फेस्टिवल के आयोजन समिति मे संजय शर्मा मंजरी फाउंडेशन, कर्नल नीलेश इगले, बॉबी सिंह गुर्जर, सुबोध गुप्ता, प्रो.शाह अयाज़ सिद्दीकी, अभीप्रताप चौधरी, माधव शर्मा, अजय प्रताप सिंह सिकरवार,अंशुल यादव, अर्पित शर्मा, जयंत ध्रुव, राशिद हारून, नूर खान, शंकर देव तिवारी प्रमुख रूप से रहे.
फिल्म समारोह के विभिन्न सत्र के मंच का संचालन राशिद हारून और दुर्गाशरण दुबे ने किया.