थैलेसीमिया दिवस पर विशेष: हीमोग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया के सही काम ना करने से होती है थैलीसीमिया की बीमारी

डॉ अनुरूद्ध वर्मा हर वर्ष 8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है इसका दिवस का उद्देश्य थैलेसिमिया की बीमारी के संबंध में जनता में जागरूकता  उत्पन कर इसको रोकना  है ,इस रोग के साथ जीने के तरीके बताना, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देना ,थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को शादी से पहले चिकित्सक से परामर्श की सलाह देना । थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से मिलने वाला अनुवांशिक  रक्त-रोग है । इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन के निर्माण की प्रक्रिया ठीक…

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उर्दू शायरी में ‘चेहरा’ : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  कितना ज़रूरी होता है हर एक के लिये एक अदद चेहरा यानी सूरत यानी शक्ल यानी रुख़। कभी- कभी सोचता हूँ कि अगर यह दुनिया ‘बेचेहरा’ होती तो क्या होता। इस बेचेहरा दुनिया में कौन किसको पहचानता और कौन किसको याद रखता। भला बिना पहचान की वह दुनिया कैसी होती। कितनी दुर्घटनाएं होतीं, कितने हादसे होते। सवेरे कोई किसी के साथ होता तो शाम को किसी के साथ। सिलीब्रटीज़ के बड़े-बड़े पोस्टर्स में आखिर क्या दिखाया जाता? पुलिस भला किसकी रपट लिखती और…

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पंचनद दीप महापर्व: क्रांतिकारी योद्धा गुसांई कुट्टी बक्स की स्मृति में आयोजित संकल्प सभा

पंचनद, इटावा। क्रांतिकारी इतिहास के गर्वीले अध्याय को जीवंत करते हुए पंचनद तट पर योद्धा सन्यासी गुसांई कुट्टी बक्स के नेतृत्व में लड़े गए संग्राम की 166वीं वर्षगांठ पर पहली बार जनस्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चंबल संग्रहालय परिवार ने महान क्रांतिवीर और गढ़िया कालेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी गुसांई कुट्टी बक्स को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पंचनद दीप महापर्व के पांचवे संस्करण में चंबल अंचल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को समर्पित एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के दौरान चंबल घाटी के क्रांतिकारियों के योगदान को प्रदर्शित करने…

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सेल्फी : मनोरंजन या मनोरोग ?

डॉ. संजय श्रीवास्तव क्या आप सभी जानते है की एक ख़ास सर्वेक्षण के अनुसार अवसाद के बाद दुस्साहसिक सेल्फी लेना युवाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण निकल कर सामने आया है | यूँ तो आप सभी जानते ही हैं की तस्वीरें खिचवाने का या अपनी तस्वीरे बनवाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है उसके पीछे का मनोविज्ञान यही है की हर व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है और वह अपनी खूबसूरत तस्वीर को देख कर गौरान्वित अनुभव करता है ,प्रसन्न होता है वक़्त बदलता गया…

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