प्यार अंधा होता है, छात्रों को नहीं निकाल सकते कॉलेज से बाहर: केरल हाईकोर्ट

कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने राज्य के एक कॉलेज द्वारा दो स्टूडेंट्स को प्यार करने और संबंधों के चलते निकालने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि संस्थान ऐसा नहीं कर सकता। 20 वर्षीय लड़की और 21 साल के लड़के के बीच प्रेम संबंध के चलते उन्हें एक्सपेल कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति की निजता और स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और शिक्षण संस्थानों को उन पर नैतिक पाबंदी लगाने का अधिकार नहीं है।कोर्ट ने 28 जून को अपने फैसले में कहा, प्यार अंधा होता है और एक सहज मानव वृत्ति है। यह व्यक्तियों और उनकी स्वतंत्रता से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने कहा कि छात्रों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उनका संबंध किसी भी तरह से सीखने के लिए एक अनुकूल माहौल को प्रभावित करता है। सीएचएमएम कॉलेज फॉर अडवांस्ड स्टडीज में बीबीए की छात्रा मालविका बाबू और उसके सीनियर व्याशक को 2017 में निष्कासित कर दिया गया था। दोनों छात्रों के कॉलेज और माता-पिता उनके संबंध के विरोध में थे, जिसके बाद मलाविका व्याशक के साथ भाग गई थी। तब मालविका की मां ने उसके लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई थी और दोनों को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। हालांकि, मालविका के माता-पिता ने बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली। अदालत ने कहा कि एक संस्थान को चलाने के लिए मिले अधिकारों में छात्रों के बीच अनुशासन को लागू करना भी उनकी जिम्मेदारी है। याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम जे सैम ने बताया कि व्याशक ने कॉलेज छोडऩे का फैसला किया है और कॉलेज से अपने रेकॉर्ड्स की वापसी की मांग की है। हाई कोर्ट ने केरल विश्वविद्यालय को दो सप्ताह में मालविका को फिर से पढऩे की अनुमति देने और कॉलेज को व्याशक के रेकॉर्ड्स वापस करने के निर्देश दिए।

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