मंगल पर विशाल भूमिगत झील का पता चला, जीवन की जगी उम्मीद

यह खोज यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने रेडार इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल कर की है। इस अभियान को 2003 में लॉन्च किया गया था।
टम्पा। मंगल पर पहली बार विशाल भूमिगत झील का पता चला है। इससे वहां अधिक पानी और यहां तक कि जीवन की उपस्थिति की संभावना पैदा हो गई है। अमेरिकी जर्नल साइंस में प्रकाशित स्टडी में शोधकर्ताओं ने कहा है कि मंगल के हिम खंड के नीचे अवस्थित झील 20 किलोमीटर चौड़ी है। यह मंगल ग्रह पर पाई गई सबसे बड़ी वाटर बॉडी है।ऑस्ट्रेलिया के स्विनबर्न यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर ऐलन डफी ने इसे शानदार उपलब्धि करार देते हुए कहा कि इससे जीवन के अनुकूल परिस्थितियों की संभावनाएं खुलती हैं। ऐलन हालांकि इस अध्ययन का हिस्सा नहीं हैं। मंगल अब ठंडा, बंजर और सूखा है लेकिन कभी यह गर्म और नमी वाला हुआ करता था। यह कोई 3.6 अरब साल पहले कई तरह के द्रवीय जल और झीलों का घर हुआ करता था। वैज्ञानिक अब के समय के पानी का संकेतों को पता लगाने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि ये खोज उस रहस्य की कुंजी हैं कि मंगल पर कभी जीवन था या नहीं या फिर यह आज जीवन के अनुकूल है या नहीं। हालांकि, इन झीलों का पानी पीने लायक नहीं है। पानी कोई 1.5 किलोमीटर अंदर बर्फीली सतह के नीचे मौजूद है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इसको लेकर संदेह जाहिर कर रहे हैं क्योंकि यह बेहद ठंडा है और इसमें भारी मात्रा में नमक तथा मिनरल मौजूद हैं। तापमान संभवत: शून्य से नीचे हैं, लेकिन मैग्नेसियम, कैल्सियम और सोडियम के कारण यह द्रव के रूप में है। उधर, ऑस्ट्रेलियन ऐस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के फ्रेड वाट्सन कहते हैं, यह असाधारण विशेषता वाली खोज है, इसने लाल ग्रह में जीवित ऑर्गैनिज्म की मौजूदगी की अटकलें बढ़ा दी हैं। यह खोज यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने रेडार इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल कर की है। इस अभियान को 2003 में लॉन्च किया गया था। इस टूल को मार्स ऐडवांस रेडार फॉर सरफेस ऐंड लोनोस्फेयर साउंडिंग कहा जाता है इसे सतह पर मौजूद पानी का पता लगाने के लिए तैयार किया गया था।

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