चन्द्रकान्त पाराशर, सीनियर एसोसिएट एडिटर-ICN
भारतीय दूतावास सिडनी में 15 सितम्बर को ऑस्ट्रेलिया की भारतीय साहित्यिक और कला संस्था इलासा (ILASA) के सौजन्य से हिंदी दिवस का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के हिंदी के विद्वान्, हिंदी शिक्षक, हिंदी कवि, कवयित्री और लेखक उपस्थित थे।
भारतीय दूतावास के श्री एस.के. वर्मा जी ने सबका स्वागत किया, फिर काउन्सिल जनरल श्री वनलाल वावना, मेलबर्न की लॉ ट्रोब यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता इयान वुल्फोर्ड, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के पीटर फ्रीडलैण्डर, बरवुड कॉउंसिल के काउंसलर राज दीक्षित और कार्यक्रम की आयोजक, इलासा संस्था की अध्यक्ष रेखा राजवंशी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सिडनी के ही डार्सी रोड स्कूल की अध्यापिका एकता चानना के विद्यार्थियों ने दोनों देशों का राष्ट्र गीत गाया। फिर काउन्सिल जनरल ने उपस्थित हिंदी प्रेमियों को हिंदी में सम्बोधित करते हुए हिंदी के महत्त्व पर प्रकाश डाला और कहा कि उनकी प्रथम भाषा हिंदी नहीं है परन्तु उनका पूरा प्रयास रहता है कि वे हिंदी में बात करें। उसके बाद कार्यक्रम का संचालन रेखा राजवंशी ने किया। सबने हाल ही में दिवंगत हुए सिडनी के उर्दू हिंदी के लोकप्रिय कवि और लेखक श्री ओम कृष्ण राहत को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
हिंदी दिवस के प्रमुख वक्ता थे डॉ इयान वुल्फोर्ड, जो न सिर्फ हिंदी के प्रवक्ता हैं बल्कि हिंदी साहित्य प्रेमी भी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओँ में से एक है। उन्होंने फणीश्वर नाथ रेणु के लोक गीतों की चर्चा की, केदार सिंह की कविता का पाठ किया, और बताया कि उनका बचपन भारत में बीता है।
कार्यक्रम का पहला सत्र ऑस्ट्रलिया में चल रहे हिंदी शिक्षण पर था। जिसमे सिडनी के सामुदायिक विद्यालयों के अलावा हिंदी की मुख्य धारा से जुड़े हिंदी शिक्षकों ने भाग लिया। इस सत्र में डा. फ्रीडलेंडर की अध्यक्षता में हिंदी शिक्षण से जुड़े अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। बाल भारती हिंदी विद्यालय की कुसुम चौधरी, वेस्ट राइड पब्लिक स्कूल की अर्चना चौधरी, डार्सी रोड पब्लिक स्कूल की कुलविंदर कौर, संस्कृत स्कूल की डा. मीना श्रीनिवासन, एएचएमए (AHMA) फिजी हिंदी स्कूल की सरिता चेकुरी और सुदेश वर्मा, हिंदी समाज द्वारा संचालित हिंदी स्कूल की गुंजन त्रिपाठी, और मधु द्विवेदी ने अपने विचार व्यक्त किये। पीटर फ्रीडलैण्डर ने हिंदी भाषा के बदलते स्वरूप को स्वीकारा और कहा कि यह भाषा एक बहता नीर है।
दूसरे सत्र में हिंदी के प्रसार प्रचार में सामुदायिक संस्थाओं और मीडिया के योगदान की चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता की ‘इंडियन डाउन अंडर’ अखबार की सम्पादक नीना बधवार ने। सिडनी की ग्यारह संस्थाओं ने इस सत्र में हिस्सा लिया और यह बताया कि वे कैसे हिंदी का प्रसार कर रहे हैं। इनमे भाग लेने वाले व्यक्तियों में थे – ए.आई.बी.सी. के डा० पार्था मुखर्जी, हिन्दू काउन्सिल ऑस्ट्रेलिया के विजय सिंघल भारत- ऑस्ट्रेलिया की अंतरराष्ट्रीय व्यापार संस्था ‘’फ़ियान’ के अध्यक्ष यादु सिंह, हिंदी समाज की गुंजन त्रिपाठी, गाया(GAYA)सक्सेस अकादमी की निम घोलकर, बच्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे एनजीओ ‘प्रथम’ की सरिता चाँद, इंडियन सीनियर्स के अध्यक्ष देव पासी, रेडियो दर्पण, सिडनी के प्रदीप उपाध्याय और 90.5 FM की रेडियो जॉकी अपर्णा वत्स।
अंतिम सत्र था हिंदी साहित्य का, जिसमे भारत से आए आगरा के कवि अनिल कुमार शर्मा ने अपनी दो कविताएँ ‘सीढ़ी’ व ‘चोर’ सुनाई। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर आर पी माथुर ने अलीगढ़ शहर को लेकर एक कविता और देवास के व्यंग्यकार व कवि ओम वर्मा ने ‘थामकर तो देखिए हिंदी का हाथ’ गीत प्रस्तुत किया। स्थानीय कवियों में थे डा० शैलजा चतुर्वेदी, अनिल वर्मा, राजीव मैनी, विपुल गोयल, सिद्धांत नाकरा, कुसुम चौधरी, मृणाल शर्मा मुख्य थे।
ऑस्ट्रेलिया में जन्मी, पली और बढ़ी पल्ल्वी एक वकील और राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने भी अपनी ऑस्ट्रेलियन हिंदी उच्चारण में कविता पाठ करके सबको मुग्ध कर लिया।
कार्यक्रम की संयोजक रेखा राजवंशी ने कहा – “हम सबको जोड़ने का प्रयास करते हैं भाषा सबको एक सूत्र में जोड़ती है, हमें सूत्र को बढ़ाना है, सिडनी के वरिष्ठ कवियों को बुलाने की बजाए इस बार उन कवियों को जोड़ा गया है जो पिछली कवि गोष्ठी में नहीं आ पाए थे। हिंदी का प्रसार प्रचार का आसान तरीका है कि माता पिता अपने बच्चो से हिंदी में बात करें ताकि अगली पीढ़ी अपनी भाषा पर गर्व कर सके।”
इस आशा के साथ हिन्दी दिवस का समापन हुआ कि ऑस्ट्रेलिया में हिंदी को कैसे बढ़ावा दिया जाए। कुछ समस्याओं के बारे में बात हुई तो कुछ समाधान भी सुझाए गए। इंडियन लिटरेरी और आर्ट सोसाइटी ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया की संस्थापिका रेखा राजवंशी पिछले कई वर्षों से हिंदी दिवस का आयोजन करती आ रही हैं। हिंदी के सुखद भविष्य की कामना में सबका साथ हो इसी भावना से आयोजित किया गया यह हिंदी दिवस बेहद सफल रहा।