जलवायु परिवर्तन में अदा करेंगे अहम भूमिका: भारत

बॉन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पेरिस समझौते से हटने की घोषणा के बीच सोमवार को जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो गया। भारत ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन आज सारे विश्व के समक्ष एक बड़ा मुद्दा है। भारत इसकी चुनौतियों को समझता है और वह अपनी अहम भूमिका अदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मसला नहीं है बल्कि अंतरात्मा को झिंझोडऩे वाला मामला है।

सम्मेलन में शामिल होने वाले वार्ताकार ट्रंप के फैसले से जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण का काम और मुश्किल होने को लेकर आशंकित हैं। हालांकि वे जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को लागू करने को दृढ़ हैं। फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनिमारामा ने कहा कि हमें पेरिस समझौते को लागू करने के लिए वैश्विक सर्वसम्मति बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते इंसान को तूफान, जंगल की आग, सूखा, बाढ़ और खाद्य सुरक्षा के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। बैनिमारामा 12 दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं।

सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के हिस्सा लेने की संभावना है। सम्मेलन में अमेरिका बड़े स्तर पर भाग नहीं लेगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हम इसमें शामिल होंगे लेकिन पेरिस समझौते के प्रति ट्रंप प्रशासन के रुख में बदलाव नहीं होगा। यूरोपीयन क्लाइमेट फाउंडेशन की अध्यक्ष लॉरेंस टुबियाना ने कहा कि अमेरिका के फैसले से सम्मेलन एक अहम ‘राजनीतिक क्षण’ बन गया है। कोस्टारिका के पर्यावरण मंत्री एडगर गुटिरेज-एस्पेलेटा ने कहा कि पेरिस समझौते ने जलवायु परिवर्तन के काम को बढ़ाया लेकिन इसकी गति कमजोर पड़ रही है।

उल्लेखनीय है कि 2015 में हुए पेरिस समझौते में ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने की बात कही गई है। अब तक औद्योगिक स्तर से पहले की तुलना में पृथ्वी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। यह दुनिया के कई हिस्सों में तबाही मचाने के लिए पर्याप्त है। पेरिस समझौते के तहत विकासशील देशों को सहायता मुहैया कराने में अमीर देश पीछे हैं। 111 अरब अमेरिकी डॉलर सहायता के लिए एकत्र किए गए, जिसमें से दस अरब डॉलर अमीर देशों से मिले।

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