ग्रहों की स्थिति एवं व्यक्ति के जीवन पर उनका प्रभाव

डॉ भावेश दवे, ज्योतिषाचार्य, ICN
आज हम अपने पाठकों को विभिन्न ग्रहों और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी देते हैं। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के जन्म के समय 9 ग्रहों की स्थिति के आधार पर उस व्यक्ति की कुंडली या उसके भाग्य का मूल्यांकन किया जाता है सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु या बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु; वहीं वेस्टर्न ऑस्ट्रोलॉजि में 12 ग्रहों की स्थिति के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है, 3 अतिरिक्त ग्रह प्लूटो, नेपच्यून और हर्षल भी सम्मिलित हो जाते हैं। इन 9 ग्रहों का स्वभाव और व्यक्ति के जीवन पर इनका प्रभाव के क्या होता है, आइये जाने:
1. सूर्य – सूर्य ग्रह देवताओं का राजा ग्रह माना गया है। यह पुरूष प्रधान ग्रह है और 9 ग्रहों में सबसे ऊर्जावान ग्रह माना गया है। सूर्य राजनीति, सरकार, मान-प्रतिष्ठा, आत्मसम्मान, पुत्र रत्न प्राप्ति के साथ ही व्यक्ति के जीवन में पिता की भूमिका को दर्शाता है।
2. चंद्रमा – चंद्रमा मन और माता का कारक ग्रह है। इसे स्त्री प्रधान ग्रह माना गया है। यह ग्रह आय, डेयरी, चांदी और सफेद वस्तुओं से संबंधित कारोबार को प्रभावित करता है।
3. मंगल – यह पुरूष प्रधान ग्रह है, इसे भाई-बहनों का कारक ग्रह माना गया है। साथ ही सेनापति ग्रह होने के कारण इसको पुलिस, सेना, वकील और डॉक्टर जैसे व्यवसाय का कारक माना गया है। पृथ्वी का पुत्र होने के कारण मंगल भूमि संबंधित व्यवसाय में भी सफलता दिलाता है।
4. बुध – बुध को मित्र का कारक ग्रह मानते हैं। यह नपुंसक ग्रहों की श्रेणी में आता है। इस ग्रह का प्रभाव इन्सुरेंस, CA, CS, मैनेजमेंट, होटल आदि से जुड़े व्यवसाय पर ज्यादा प्रभावी होता है।
5. बृहस्पति – बृहस्पति सबसे विद्वान ग्रह माना गया है। इसको देव गुरु भी बोलते है, ये देवताओं को भी शिक्षा देने वाला ग्रह है। ज्ञान, विज्ञान, प्रोफेसर, शिक्षक एवम शिक्षा से जुड़े व्यवसायो को प्रभावित करता है।
6. शुक्र – यह ग्रह राक्षसों का आचार्य शुक्राचार्य कहलाता है। यह ग्रह काम-वासना, ऐश्वर्यता, स्त्री-सुख आदि का कारक ग्रह है।
7. शनि – शनि को राक्षसों का राजा ग्रह माना गया है। शनि लोहा, सीमेंट, सरिया, ऑटोमोबाइल, हार्डवेयर आदि से संबंधित क्षेत्रों में सफलता का कारक माना गया है।
8. राहु – राहु को छाया ग्रह माना गया है। समुद्र मंथन के समय चोरी से अमृतपान करने का अपराधी होने की वजह से भगवान विष्णु ने राक्षस राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन अमृत पी लेने की वजह से इसकी मृत्यु नही हुई, सिर वाला हिस्सा राहु बन गया और धड़ केतु। राहु ग्रह शराब, तस्करी, जुआ, सट्टा आदि को प्रभावित करता है एवं लाभ दिलाता है।
9. केतु – यह राहु का ही निचला हिस्सा (घड़) है और राहु जैसा ही छाया ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। इसके खराब होने की स्थिति में व्यक्ति के निर्णय करने की क्षमता प्रभावित होती है।

(श्री भावेश दवे ने एस्ट्रोलॉजी में पीएचडी और LLB किया है, कुछ साल वकालत करने के बाद अब वो अजमेर के जाने माने सफलतम ज्योतिषी हैं)

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