स्मार्टनेस का साइड इफ़ेक्ट: नोमो फोबिया

डॉ. संजय श्रीवास्तव, एसोसिएट एडिटर-आई सी एन & साइकोलोजिकल काउन्सलर एवं क्लीनिकल हिप्नोथेरेपिस्ट  

लखनऊ: दोस्तों बहुत पहले मैंने किसी जगह एक लाइन पढ़ी थी  कि ‘इंसान को अक्लमंद होना चाहिए स्मार्ट तो फोन भी होता है” | उस समय ये लाइने पढ़ कर मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन आज जब मैं उन लाइनों को याद करता हूँ तो वे लाइनें मुझे हकीकत नजर आती हैं क्योकि आज हम सभी जिस तरह से अपनी पूरी दिनचर्या स्मार्टफोन के साथ स्मार्ट बन के गुजारते हैं | हमारे मोबाइल ने हमे स्मार्ट तो बनाया है लेकिन अगर हम बहुत ध्यान से अपना आंकलन करें तो हम ये पाते हैं कि हमारी मेमोरी यानि याददाशत धीरे धीरे कम होती जा रही है | जहा पहले हम सभी लोगों को कई कई फोन नंबर मुह जुबानी याद रहते थे | वहीं आज हम सभी को अपने बहुत ख़ास ख़ास मित्रो और रिश्तेदारों के नंबर भी नही याद रहते |

सिर्फ इतना ही नही आज के इस दौर में हम सभी “जिस स्मार्टफोन को हमारे इशारे पर काम करना चाहिए था यानि उसे हमारा दास होना चाहिए था , आज हम उसी स्मार्ट फोन के दास होते जा रहे हैं” | हमारी सारी जानकारी उसी स्मार्टफोन में रहती है और तो और हमारे जीवन की कई महत्वपूर्ण जीवन से सम्बंधित जान कारी भी हम उसी स्मार्टफोन में सुरक्षित कर लेते हैं | और ये सार्वभौमिक सत्य है कि जब भी किसी व्यक्ति को किसी का सहारा मिलता है तो वह व्यक्ति अपने आप को पूरी तरह से उसी के सहारे कर देता है | ठीक यही आज हमारे दिमाग से समबन्धित सारे कार्यो के साथ हो रहा है यानि जिन कार्यो को करने के लिए हम पुर्णतः अपने दिमाग या बुद्धि का प्रयोग करते थे| अब हम सभी उन कार्यो को करने के लिए अपने स्मार्टफोन या फोन पर निर्भर हो गए हैं जिसका असर हमारी मेमोरी यानि याददाश्त पर पड़ता है जिसकी वजह से हमारी निर्णय लेने की क्षमता पर भी उसका असर पड़ता है | यानि आज हम स्मार्ट तो हो रहे हैं लेकिन अक्लमंद नही हो रहे |

मित्रो ये बात भी सर्वविदित है कि जिस व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता कम होती है वह आने वाली परिस्थितियों की वजह से तनाव में रहता है एवं भयभीत रहता है और अपने फोन के द्वारा या उसकी वजह से उत्पन्न भय को हम नोमो फोबिया के नाम से जानते हैं | दोस्तों नोमोफोबिया का मतलब होता है के जीवन में या हमारी रोज की दिनचर्या में अगर हमारा स्मार्टफोन हमारे पास न हो , अचानक कहीं खो जाये या फोन ख़राब हो जाये तो ऐसी स्थिति में जो हमारी मनोदशा होगी उसे हम नोमोफ़ोबिया के नाम से जानते हैं | इसके अलावा कई और भी लक्षण हैं जो ये दर्शाते हैं की आप या हम नोमोफोबिया के शिकार हैं कि नहीं ? वैसे तो आज कल सभी या ज्यादातर लोग फोन या स्मार्टफोन का इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करते हैं | कुछ वर्ष पहले ये प्रवत्ति ज्यादातर युवाओं में पाई जाती थी लेकिन आज इस दौर में अब प्रवत्ति हर उम्र के लोगो में पायी या देखी जा सकती है |

दोस्तों आज कल उन सभी लोगो की जो भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल इन्टरनेट के लिए करते है “उस सभी की मनःस्थिति उस स्त्री की तरह तरह हो चुकी है की जिसका ध्यान दूध उबालते समय सिर्फ उसी में लगा रहता है क्योकि वह हर समय दूध उबल कर गिरने के तनाव में रहती है |” इसी प्रकार उन सभी की मनःस्थिति भी तनाव में रहती है | जो बार बार अपने मोबाइल या स्मार्टफोन को चेक करते रहते हैं कि कही कोई मैसेज तो नही आया | कई बार ऐसे लोग रात में उठ उठ कर अपने मोबाइल को चेक करते रहते हैं |

आइये अब हम नोमोफोबिया के लक्षणों के बारे में बात करते हैं :-

१.नोमोफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति में पाया जाने वाला सबसे पहला लक्षण यह है अगर ऐसे व्यक्ति का  मोबाइल आकस्मिक किसी दुर्घटनावश टूट जाये या अचानक खराब हो जाये तो ऐसे व्यक्ति अपने में एक अजीब सी उलझन में रहते हैं और घबराहट का अनुभव करते हैं |

२. जो लोग नोमोफोबिया से ग्रसित होते हैं उनमे पाया जाने वाला दूसरा लक्षण है कि ऐसे लोग अपने फोन पर आने वाली सूचनाओं (Notifications) को बार बार चेक करते रहते हैं और प्रायः यह भी देखा गया है कि बहुत देर तक अगर ऐसे लोगो के फोन पर किसी भी प्रकार की सूचना या मैसेज नही आते हैं तब भी ऐसे लोग एक अजीब सी बेचैनी या घबराहट का अनुभव करते हैं |

३.नोमोफोबीया से ग्रसित व्यक्तियों में पाया तीसरा लक्षण ये है कि ऐसे व्यक्ति अपने फोन के किसी भी कॉल या मैसेज को मिस नही करना चाहते वो चाहे किसी पार्टी में हों ,चाहे किसी मीटिंग में या फिर किसी मंदिर में और यह तक की किसी वहां को चलते समय भी ऐसे लोग अपने फोन से दूर नही रह पाते | ऐसे लोग ऐसी जगहों पर अपने फोन में घंटी की जगह वाइब्रेटर का इस्तेमाल करते है जिससे उन्हें फोन पर आने वाली सभी कॉल्स या मैसेज की हमेशा जानकारी होती रहे |

४.ऐसे लोगो पाया जाने वाला चौथा लक्षण यह है कि ऐसे लोग हर समय इस बात को ले कर भी आशंकित रहते हैं कि कही उनका फोन स्विच ऑफ़ यानि बंद न हो जाये या फोन की बैटरी न ख़त्म हो जाये | इस बात से बचने के लिए वह अपने फोन को निरंतर चार्ज करने की चेष्टा में लगे रहते हैं या चार्ज करते रहते हैं जिसके लिए वे हर समय अपने फोन को चार्ज करने के लिए स्विच तलाशते हैं और स्विच न मिलने पर घबराहट या भय का भी अनुभव करते हैं | दोस्तों आज कल पावर बैंक नाम की एक डिवाइस का बहुतायत इस्तेमाल इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है |

५.  दोस्तों नोमोफोबिया का पांचवा लक्षण है कुछ स्थानों पर सिग्नल का न आना या सिग्नल का बार बार ब्रेक होना | कई बार जब लोगो के फ़ोन में इस तरह की परेशानी आती है तो वे बेचैन हो जाते है और वे ऐसी जगह से जाने से बचने की कोशिश करने लगते हैं |

६. दोस्तों हम सभी जानते हैं और अक्सर हमे समय समय पर ये जानकारी भी मिलती रहती है की मोबाइल फोन को सोते समय अपने से कम से कम ६ फीट की दूरी पर रखना चाहिए लेकिन नोमोफोबिया का पांचवां और एक अहम् लक्षण है जिसे आजकल प्रायः देखा जा सकता है और वो है ऐसे व्यक्ति अपने स्मार्टफोन के साथ ही सोना पसंद करते हैं | नोमोफोबिया से प्रभावित  लोग अपने फ़ोन के बगैर सो ही नहीं सकते |

७. दोस्तों इसी क्रम में एक और लक्षण है जिसे आज कल आमतौर पर देखा जा सकता है और वो है सुबह उठ कर सबसे पहले अपने स्मार्टफोन को चेक करना और अपने नेट को ऑन करके आने वाले मैसेज को देखना और सोशल साइट्स पर अपनी पोस्ट पर लाइक्स और कमेंट्स को चेक करना और अपनी उम्मीद के विपरीत परिणाम होने पर निराशा से भर जाना या उदास हो जाना |

८. दोस्तों ये लक्षण पढ़ने या सुनने में बहुत हास्यप्रद लगता है लेकिन नोमोफोबिया का एक ये भी लक्षण है की कई लोग अपने फोन के प्रति या उसमे आने वाले मैसेज या कॉल के प्रति इतने आशक्त होते है की वे अपने मोबाइल को अपने नित्य क्रिया जैसे बाथरूम में भी हमेशा अपने साथ रखते हैं |

९. नोमोफोबिया का एक लक्षण ये भी है की इस रोग से ग्रसित लोग अपने फोन को अगर अपने घर में भूल कर घर से बाहर चले जाते है तो वे अपने फोन के लिए फौरन वापस आते हैं या अगर वे किसी वजह से घर वापस नहीं आ पाते है तो वे तब तक बहुत ही बेचैनी का अनुभव करते हैं जब तक वे दुबारा अपने फोन को वापस नहीं पा लेते |

१०. वैसे तो दोस्तों नोमोफोबिया के और भी बहुत सारे लक्षण होते है लेकिन नोमोफोबिया में पाए जाने वाले अहम् लक्षणों में एक ये भी लक्षण है की किसी से मैसेज के दौरान बातचीत करते समय अगर सामने वाले के मोबाइल में किसी वजह से अड़चन या परेशानी आ रही है या बातचीत सामान्य तरीके से न हो कर अवरोध आ रहा हो तब इस नोमोफोबिया से ग्रसित व्यक्तियों में अक्सर बेचैनी या चिडचिडापन अक्सर देखा या महसूस किया जा सकता है |

दोस्तों आज हमने नोमोफोबिया यानि मोबाइल के न होने से उत्पन्न होने वाले डर के लक्षणों के बारे में जाना | इसी सिरीज में दुसरे प्रकाशित होने वाले संस्करण  में हम जानेंगे की इस नोमोफोबिया की बीमारी या इससे उत्पन्न होने वाले लक्षणों पर कैसे काबू किया जा सकता है या उन्हें इस डर को कैसे दूर किया जा सकता है |

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