ग़ज़ल–घर में रहकर ख़ुद से मिलना अच्छा लगता है ….

*”घर पर रहें – घर पर सुनें”*
हर रोज़ नए गाने
*ग़ज़ल* –  घर में रहकर ख़ुद से मिलना अच्छा लगता है ….
*गायक* – पद्मश्री अनूप जलोटा (मुंबई)
*संगीतकार* – केवल कुमार

गीतकार* – अशोक हमराही
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पद्मश्री अनूप जलोटा सुप्रसिद्ध गायक होने के साथ – साथ संगीतकार, फ़िल्म निर्माता और अभिनेता भी हैं। भक्ति संगीत में उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें ‘भजन सम्राट’ कहा जाता है।
गीत और भजन के अलावा  ग़ज़ल गायकी में भी उन्हें ख़ास मुक़ाम हासिल है। वर्ष 2012 के लिए उन्हें कला-भारतीय शास्त्रीय संगीत-गायन के क्षेत्र में पद्मश्री से  सम्मानित किया गया। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा लखनऊ के भातखंडे संगीत संस्थान से हुई थी। उनके पिता पुरुषोत्तम दास जलोटा भी एक प्रमुख भजन गायक थे।पद्मश्री अनूप जलोटा ने संगीत प्रेमियों के लिए इससे पहले एक भजन प्रस्तुत किया था; जिसका आशीर्वाद स्वरुप सभी ने रसास्वादन किया। अनूपजी भजन सम्राट के रूप में विख्यात हैं, किन्तु ग़ज़ल उनकी रूह में हमेशा गुनगुनाती रही और जब भी अवसर मिला उन्होंने ग़ज़ल को अपनी पुर-सुकून आवाज़ से नवाज़ा। उनकी गाई हुई ये ग़ज़ल सुनिए … Like करिए .… Share करिए…और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।
*धन्यवाद*
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विशेष : समय कभी नहीं रुकता है। जब कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु लॉकडाउन के दौरान सारा विश्व थमा हुआ सा प्रतीत हो रहा था, सृजन उस समय भी जारी था। जीवन हर चुनौती से बड़ा है और उसी लॉकडाउन काल में रचे व सृजित किये गये ये गीत हमारी हर संकट से जूझने व जीतने की संस्कृति के प्रतीक हैं।

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