लम्हे यश चोपड़ा की रोमांटिक फिल्मों में सबसे मार्मिक फिल्मों में से एक थीं। हालांकि यह फिल्म सफल नही हो पाई थी लेकिन 1991 में आई फ़िल्म की चर्चा हमेशा होती हैं। हनी ईरानी द्वारा लिखी इस फ़िल्म की कहानी प्रेम के नए अध्याय को गढ़ती हैं। श्री देवी ,अनिल कपूर,अनुपम खेर और वहीदा रहमान जैसे दिग्गज कलाकार इस फ़िल्म में थे। इसकी कहानी में नायक जिसे चाहता है उसे नही पा पाता और उसकी मौत के बाद नायिका के बच्ची की जिम्मेदारी उस पर आ जाती हैं लेकिन वो उसकी शक्ल भी नही देखना चाहता ,जबकि बड़ी होती बच्ची के मन में नायक के प्रति प्यार उमडता रहता हैं युवा होने पर जब नायक उस बच्ची को देखता हैं तो हु बहु नायिका के चेहरे वाली युवती से वो कैसे मिले समझ नही पाता जबकि वो लड़की नायक से प्यार करने लगती हैं । अपने समय से आगे की फ़िल्म को उस वक़्त दर्शकों ने नकार दिया था। फ़िल्म का संगीत खूब पसंद किया गया ,शिव – हरि की जोड़ी ने फ़िल्म में राजस्थानी लोकसंगीत को खूब प्रयोग किया। मोरनी में बागा में बोले आधी रात में आज तक सुना जाता हैं । फ़िल्म भले असफल हुई थी लेकिन फ़िल्म फेयर अवार्ड में इस फ़िल्म ने झंडे गाड़ दिए थे । इस फ़िल्म का सवांद लेखन डॉ रही मासूम रजा ने लिखा था उन्हें भी हनी ईरानी के साथ फ़िल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया।
फ़िल्म में अनिल कपूर बिना मूँछ के पहली बार काम किया था लेकिन लोगों ने कहा श्रीदेवी के साथ अनिल का चयन शायद ठीक नही था।
यश चोपड़ा इसे अपने कैरियर की बेहतरीन फ़िल्म मानते थे , प्रेम ,पारिवारिक और जिम्मेदारियों के द्वंद को यह फ़िल्म बेहतर तरीके से दिखाती हैं। यश चोपड़ा को भी लम्हें के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार मिला था।