आज के संदर्भ में शिक्षा हमारी वैज्ञानिक व तकनीकी उपलब्धियों एवं प्रकृति मे मध्य आदर्शमयी समन्वय का नाम है। हम प्रकृति की देन हैं इसलिये प्रकृति के साथ जीवननिर्वाह ही हमारा व हमारी शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए।
कभी कभी हमारी वाह्य व अंतर्दृष्टि विषम मोतियाबिंद का शिकार हो जाती है और ऐसी स्थिति में ‘कारण और परिणाम’ के मध्य जमी धुंध को साफ करने के लिए उन उलझी हुई परिस्थितियों को सुलझा कर उनका ‘मंतव्य’ स्पष्ट कर हमें हमारे ‘गंतव्य’ तक सफलतापूर्वक पहुंचाने के लिए एक प्रायोगिक मार्गदर्शन चित्र बनाने के लिए एक दूरदर्शी मार्गदर्शक की आवश्यकता उत्पन्न होती है। वास्तव में शिक्षा की सबसे छोटी लेकिन सबसे स्पष्ट व प्रभावशाली परिभाषा इस प्रकार हो सकती है – शिक्षा वही है जो समय के साथ सकारात्मक रूप से अंतर्क्रिया करने व भविष्य के समुचित आंकलन की हमारी क्षमता को निरंतरता के साथ बढ़ाती है।
पूर्व राष्ट्रपति व अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद डा० सर्वपल्ली राधाकृषण पास न केवल एक कुशल राजनैतिक व्यक्तित्व ही था बल्कि उनमें शिक्षा से जुड़े हुये अभूतपूर्व सामाजिक संवेदना व संचेतना के वे बीज भी थे, जिन्होंने उनके निधन के पैतालीस वर्षों के बाद भी ने केवल उनकी प्रासंगिकता को बनाये रखा बल्कि वैश्विक संक्रमण के इस विषमतम काल में उनकी प्रासंगिकता को और भी बढ़ा दिया। सत्यता यह है कि विश्व में ‘साक्षरता’ का स्तर तो महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ा लेकिन मानवीय मूल्यों का गंभीरतम स्तर तक ह्रास भी हुआ है जिसके चलते शिक्षा आज पहनने और ओढ़ने की सज्जा मात्र बन कर रह गयी और है उसका आत्मा व चेतना से कोई संबंध नहीं है।
कोरोना संक्रमण एक ऐसी ही वैश्विक दुर्घटना है जिसने विश्व को अनायास ही अचंभित करने वाला ‘डीप यू टर्न’ दे दिया। इतिहास में पहली बार वह क्षण आया जब मनुष्य ने अपनी तथाकथित शिक्षा की उपादेयता और आवश्यकता को संशय भरी दृष्टि से देखा और यह पाया कि यह समय इस तथ्य के आंकलन का है कि हमारी तथाकथित शिक्षा क्या वास्तव में जीवनदायी शिक्षा है अथवा यह मात्र सभ्य कहलाने एवं रोटी का जुगाड़ करने का साधन मात्र है? इस शिक्षा के कूड़े को खंगालते-खंगालते विश्व व्यक्ति हमारे ऋषियों, मनीषियों व गुरुओं की उस दिव्य पाठशाला में पहुँचा जहाँ हमें यह बताया गया था कि मनुष्य प्रकृति की संतान है। प्रकृति व मनुष्य के बीच पुरातन ‘जैनेटिक रिलेशन’ हेै और सृष्टि के प्रारंभ से हमारे डीएनए में मात्र प्रकृति ही प्रकृति है। हम जब भी प्रकृति की अवहेलना करते हैं, हम वास्तव में अपने ही डीएनए से ‘मिसमैच’ हो जाते हैं जिसका परिणाम विभिन्न रूपों में मानव जाति का अनायास ही काल कवलन है।
आई सी एन भले ही अपने वाह्य कलेवर से दुनिया के अन्य मीडिया हाउसेस की तरह एक मीडिया हाउस ही लगता हो किंतु आई सी एन के मंच पर अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञों एवं मानवता के प्रति अति संवेदनशील श्रेष्ठ व्यक्तियों की सामूहिक ऊर्जावान उपस्थिति ने इसे वैश्विक मानवीय उत्थान के लिए एक जन आंदोलन में परिवर्तित कर दिया।
आई सी एन ने वैश्विक स्तर पर मानवता के उत्थान के लिए शिक्षा के क्षेत्र भारत के पूर्व राष्ट्रपति व वैश्विक शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में भारत के पूर्व राष्ट्रपति, विश्वस्तरीय वैज्ञानिक एवं मानवता डॉ एपीजे कलाम, कृषि व समृद्धि के क्षेत्र में डॉक्टर नोर्मन बोर्लाक, स्वास्थ्य व चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर बी सी राय एवं खेल के क्षेत्र में मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुये उनके सपनों के विश्व निर्माण में अपने योगदान को अपना ध्येय बनाया और डॉक्टर नोर्मन बोर्लाक विधा में अपने रूरल इंटरप्रिन्यूरशिप मिशन के अंतर्गत भारत में एवं तत्पश्चात थाईलैंड और वियतनाम में सफल अंतरराष्ट्रीय वेबीनार एवं वेबशाप का सफल आयोजन किया। तदुपरांत आई सी एन ने अपनी रविंद्र नाथ टैगोर विधा में कोरोना संक्रमण से झुलसे हुए विश्व को अमृतमय संगीत का वैश्विक आयोजन वेबिनार व वेबशाप प्रणाली के माध्यम से आयोजित किया। इसके पश्चात इसी श्रंखला के आई सी एन ने अपनी डॉक्टर बी सी राय विधा के अंतर्गत अपने स्वास्थ्य व चिकित्सा प्रभाग के माध्यम से कोरोना पर एवं बदलते परिदृश्य में स्वास्थ्य सेवाओं की नवीन प्रणाली की आवश्यकता पर आधारित वेबिनार व वेबशाप आयोजित किया।
आई सी एन अपनी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन विधा में विश्व की बदलती परिस्थितियों एवं सामने उपस्थित चुनौतियों के परिपेक्ष में शिक्षा के नवीनतम व प्रासंगिक अर्थ, उपादेयता व सुधार पर वैश्विक वेबिनार व वेबशाप का आयोजन किया जिसमें सूत्र रूप में यह तथ्य रेखांकित किया गया कि आज के संदर्भ में शिक्षा हमारी वैज्ञानिक व तकनीकी उपलब्धियों एवं प्रकृति मे मध्य आदर्शमयी समन्वय का नाम है। हम प्रकृति की देन हैं इसलिये प्रकृति के साथ जीवननिर्वाह ही हमारा व हमारी शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितंबर अर्थात शिक्षक दिवस के अवसर पर आईसीएन द्वारा यह आयोजन वेबीनार एवं वेप शॉप प्रणाली के माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें आई सी एन के चीफ़ एडवाइज़र प्रो० के.वी.नागराज, सीनियर एडवाइज़र/सीनियर एडीटर राकेश लोहुमी, एडवाइज़र/चीफ़ कंसल्टिंग एडिटर प्रो० प्रदीप माथुर, ग्रुप एडिटर विजय कुमार वर्मा, पूर्व कुलपति एवं सीनियर कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर अवध राम, पूर्व कुलपति एवं सीनियर कंसल्टिंग एडिटर डॉ सुशील सोलोमन, पूर्व कुलपति एवं सीनियर कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर अख्तर हसीब, पूर्व कुलपति एवं सीनियर कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर शभु नाथ सिंह, पूर्व कुलपति एवं चीफ एडिटोरियल एडवाइजर प्रोफेसर अनिल कुमार राय, कंसल्टिंग एडिटर रूरल लेफ्टिनेंट कर्नल नीलेश इंगले, सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हेल्थ प्रोफेसर जे डी रावत, सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हेल्थ प्रोफेसर आर ए एस कुशवाहा, सीनियर एसोसिएट एडिटर हेल्थ प्रोफेसर संदीप साहू, कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर जे एस यादव, कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर संजीब भनावत, इंटरटेनमेंट एडीटर केवल कुमार, सीनियर कंसल्टिंग एडिटर डॉ. भोला नाथ मिश्रा, मैनेजिंग एडीटर डॉ सुधांशु सिंह, चीफ़ कंसल्टिंग एडिटर डॉ उपशम गोयल, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, एडीटर इन चीफ़ डॉ शाह अयाज़ सिद्दीकी, एडीटर (इंटरनेशनल) राजीव सक्सेना, एडीटर बरनाली बोस, एडीटर प्रोफेसर जसवंत सिंह, एडीटर डॉ मोहम्मद अलीम, एडीटर प्रोफेसर आर के यादव, एक्जीक्यूटिव एडीटर डॉ संजय कुमार अग्रवाल, एडीटर प्रोफेसर अलीम सिद्दीकी, सीनियर एसोसिएट एडिटर डॉ पूजा दीवान, सीनियर एसोसिएट एडिटर प्रोफेसर अनुराग यादव, एडिटर साउथ डॉ सपना एम यस, एडिटर नार्थ ईस्ट डॉ डाकटर एस्से, एक्जीक्यूटिव एडीटर डॉ श्वेता, एक्जीक्यूटिव एडीटर डॉ शाह नवाज़ सिद्दीकी, सीनियर स्पोर्ट्स एडिटर डॉ विजय फ्रांसिस पीटर, सीनियर एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स डॉ मीनाक्षी त्रिपाठी, स्पोर्ट्स एडिटर डॉ मोहम्मद सलमान मुर्तज़ा, सीनियर एसोसिएट एडिटर डॉ आर सी जॉन, ब्यूरो चीफ महाराष्ट्र डॉ सूंदर राजदीप, ब्यूरो चीफ केरला डॉ क्लींसा कुरियन, ब्यूरो चीफ गोवा प्राजल सखरड़ांडे, ब्यूरो चीफ मणिपुर डॉ कमलजीत चिरोम, एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स डॉ आसिम खान, एसोसिएट एडिटर स्पोर्ट्स डॉ आरिफ मोहम्मद, एसोसिएट एडिटर मोहम्मद सलीम खान आदि ने इस आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लेकर वैश्विक मानवता के प्रति अपनी निष्ठा को दर्ज किया।