अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P.
करें हम उनको आज नमन
करें हम उनको आज नमन
जिनकी आँखों में जलती थी स्वाभिमान की ज्वाला
जिनके हाथ सदा जपते थे आज़ादी की माला
संघर्षों की राह तनिक न जिन्हें कर सकी विचलित
हो स्वतंत्र यह देश बने सिरमौर विश्व में अतुलित
जिन्होंने पाला यही सपन
करें हम उनको आज नमन
स्मुतियों के तार छिड़ गए चला चली की बेला
जीवन की घिरती संध्या में ये मन बहुत अकेला
याद याद कर लिखता जाऊं बलिदानों की गाथा
खड़े हुए बलिवेदी पर ऊंचा था जिनका माथा
दिया है उनको यही वचन
करें हम उनको आज नमन