इटावा: चंबल परिवार द्वारा आयोजित चंबल मैराथन का तीसरा संस्करण आगामी 14-15 जनवरी 2023 को मुरैना जनपद में आयोजित किया जा रहा है। चंबल मैराथन 2023 का रूट अमर शहीद पं. राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय से शहीद स्मारक बरबाई तक 42.200 किमी तक प्रस्तावित है। चंबल मैराथन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के धावक अपना दमखम दिखाएंगे। 14 जनवरी को प्रातः 8 बजे से 5 किमी और 10 किमी की दौड़ प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। 15 जनवरी को सेना दिवस के अवसर पर 21.0975 किमी और 42.195 किमी की दौड़ होगी।
‘चंबल रेजिमेंट लागू करो’ की मांग का स्वरनाद चंबल मैराथन द्वारा किया जा रहा है। चंबल मैराथन के तीसरे वर्ष को अंतिम रूप देने के लिए आयोजन समिति के सदस्य शिद्दत से जुटे हुए हैं। चंबल मैराथन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों का आनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है, जिसमें धावक खासी दिलचस्पी ले रहे हैं और रजिस्ट्रेशन के परिणाम बेहतर आ रहे हैं।
चंबल मैराथन के संस्थापक क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के 75 वर्ष में स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं का स्मरण किया जा रहा है लिहाजा काकोरी केस के महानायक राम प्रसाद बिस्मिल के नाम से मुरैना शहर में स्थापित संग्रहालय से उनके पुश्तैनी गांव बरबाई तक रोडमैप तैयार किया गया है। इस बार चंबल मैराथन के मार्फत भारतीय सेना में चंबल रेजिमेंट लागू करो की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही है।
चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने जोर देते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान चंबल घाटी के रणबाकुरों का गौरवशाली इतिहास रहा है। इतिहास उत्खनन के दौरान ब्रिटिशकालीन दस्तावेजों में बीहड़ के लड़ाका पुरखों की गाथाएं रोमांचित करती हैं। आज भी देश की सेना में सबसे ज्यादा चंबल अंचल के जाबांज हथियार थामे खड़े हैं। देश की सरहदों पर शहीद हुए सैनिकों के स्मारक घाटी के बीहड़ों में गांव-गांव मिल जाएंगे। लिहाजा हमारी वर्षों से चंबल रेजिमेंट बनाने की मांग रही है। भारतीय संसद में चंबल रेजिमेंट बनाने का प्रस्ताव पास हुए भी दस वर्ष होने को हैं लेकिन अभी तक चंबल रेजिमेंट लागू करने की अनदेखी बड़ा सवाल खड़ा करती है। गौरतलब है कि चंबल मैराथन का पहला वर्ष इटावा में ‘रन फार बेटर चंबल’ और दूसरा वर्ष भिंड में ‘स्प्रिट चंबल’ नारों के साथ ऐतिहासिक रूप से सफल रहा है।