वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पहली बार एक्सरे लेजर के अल्ट्रा शॉर्ट फ्लैसेज का प्रयोग कर हीरे को ग्रेफाइट में बदलने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं के मुताबिक ये अध्ययन ठोस ऊर्जा विकिरण को अवशोषित करने पर उनके मूल व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को समझने में मददगार साबित हो सकता है। अमेरिका के एसएलएसी नेशनल एक्सलेरेटर लेबोरेटरी के शोधकर्ता फ्रेंज तावेला सहित अन्य शोधकर्ताओं ने पहली बार इस प्रक्रिया से हीरे को ग्रेफाइट में बदला है। यह अध्ययन हाई एनर्जी डेंसिटी फिजिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। फ्रेंज के मुताबिक, इन बुनियादी पहलुओं के अलावा हीरे से संबंधी तकनीकों के लिए इसके ग्रेफाइट में बदलने की प्रक्रिया को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि हीरे का बड़े पैमाने पर व्यवहारिक इस्तेमाल होता है। हीरा और ग्रेफाइट कार्बन के दो अलग-अलग रूप हैं और ये अपने आंतरिक क्रिस्टल संरचना में अलग होते हैं। धरती के नीचे गहराई में उच्च दबाव वाले चरणों में हीरे का निर्माण होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सामान्य परिस्थितियों में हीरा मितस्थायी है, यानी पर्याप्त ऊर्जा होने पर ये वापस ग्रेफाइट में परिवर्तित हो जाता है। हीरे को ग्रेफाइट में बदलने के कई तरीके हैं, जिनमें से एक उसे ऑक्सीजन के अपवर्जन में गर्म करना है।
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