डॉ. नौशीन अली ( ब्यूरो चीफ-ICN मध्य प्रदेश )
भोपाल|आज कल किसी न किसी को यूरिन यानि पेशाब सम्बन्धी समस्या होती है वो ये कहने से शर्माता है कैसे कहे पर सबसे पहले हमें खुद ही इस समस्या को पनपने से पहले रोकना होगाकिडनी हमारे शरीर में फिल्ट्रेशन का काम करती है तो जब फ़िल्टर होगा तो वो पास यूरेटर को करेगी यूरेटर एक पाइप है जिसका ऊपर का हिस्सा किडनी और नीचे का हिस्सा ब्लैडर से जुड़ा होता है अब ये पाइप जिसमे टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ है उसने ब्लैडर को पास किया ब्लैडर अब ऐसे में यूरिन में से विषैले (टोक्सिन) बाहर निकलते है अगर अब ऐसे में हम यूरिन रोक लेते है ये अगर यूरिन को बाहर नहीं निकला गया रोक लिया गया तो वह संक्रमड़ ( इंफेक्शन पैदा हो जायेगा जिसे अंग्रेजी में यू टी आई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन कहते है)
कभी-कभार जरूरी मीटिंग लम्बी चल जाती है तो कभी रास्ते में उपयुक्त स्थान ना होने के कारण या फिर कभी किसी अन्य मजबूरी के कारण अगर आप भी अपना यूरीन ज्यादा समय के लिए रोक लेते हैं तो आपको समझना चाहिए कि ये आपके लिए एक बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है।
यूरिन का पास होने शरीर की एक सामान्य काम है इसमें शरीर के अंदर से टोक्सिन बाहर निकलते है जिससे हम स्वस्थ रहते है|बहुत वक्त तक यूरिन रोकने की वजह से ब्लैडर में सूजन आने का खतरा भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से हर समय दर्द बना रहता है और डिस्चार्ज करने के दौरान तेज दर्द का अनुभव होता है|अगर ये समस्या बहुत अधिक बढ़ जाए तो किडनी पर बहुत बुरा असर पड सकता है कई बार तो किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है.
क्लीयर यूरीन
जब हम पर्याप्त मात्रा मे पानी पीते हैं तब हमारा शरीर अच्छे से हाइड्रेटेड होता है और साफ यूरीन पास हो है। कुछ दवाओं की वजह से सामान्य से अधिक यूरीन आता है ऐसे मे भी क्लीयर यूरीन आता है|
डीप येलो
अगर यूरीन का रंग गहरा पीला हाई तो समझ जाएँ कि आपके शरीर मे पानी की कमी हो गई है।
हल्के लाल रंग का यूरीन
पीलिया यानि जोंडिस मे यूरीन का रंग पीला हो जाता है। चुकंदर यानि बीट रूट, आयरन सप्लिमेंट और फूड कलर आदि के इस्तेमाल से भी यूरीन का रंग पीला हो सकता है।
ग्रीन या ब्लू
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कुछ दवाओं और फूड कलर की वजह से ऐसा हो सकता है।
ब्राउन या ब्लैक
अल्काप्टोन्यूरिया नामक एक रेयर जेनेटिक डिसॉर्डर की वजह से ऐसा हो सकता है।
ब्लड रेड
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, किडनी स्टोन या किडनी के कैंसर की वजह से ऐसा हो सकता है।
वाइन रेड
जेनेटिक डिसॉर्डर पोरफिरिया के चलते पोर्ट वाइन के रंग का यूरीन आता है।
गंध भी देता है कई संकेत
डीहाइड्रेशन की वजह से यूरीन मे गंध आती है। लहसुन प्याज जैसी चीजें ज्यादा खाने और पानी कम पीने वालों के साथ भी ऐसा होता है। लीवर की बीमारी या मेटाबोलिक डिसॉर्डर मे भी ऐसा हो सकता है।
यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण –
— पेशाब करते समय जलन या दर्द होना।
— बार बार तेज पेशाब आने जैसा महसूस होता है , लेकिन मुश्किल से थोड़ी सी पेशाब आती है ।
— नाभि से नीचे पेट में , पीछे पीठ में या पेट के साइड में दर्द होना।
— गंदला सा , गहरे रंग का , गुलाबी से रंग का , या अजीब से गंध वाला पेशाब होना।
— थकान और कमजोरी महसूस होना।
— उलटी होना , जी घबराना ।
— बुखार या कंपकंपी ( जब इन्फेक्शन किडनी तक पहुँच जाता है ) होना।
बच्चों में कब्ज का बना रहना तथा मूत्राशय व मूत्रनली का सही प्रकार से काम नहीं कर पाना यूरिन इन्फेक्शन का कारण हो सकता है।
यूरिन इन्फेक्शन से बचने के उपाय –
इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
यूरिन इंफेक्शन में बैक्टीरिया ब्लैडर में जमा हो जाते है ऐसे में पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। ताकि ज़्यादा यूरिन करने से बैक्टीरिया बाहर निकल जाये
जब भी पेशाब आने जैसा लगे तुरंत जाएँ चाहे किसी भी काम में व्यस्त हों। तसल्ली से पूरा मूत्राशय खाली करें। पेशाब को देर तक रोके
रखने से यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।
मलत्याग के बाद या मूत्र त्याग के बाद आगे से पीछे की तरफ पोंछें या धोएं। न की पीछे से आगे की तरफ। ताकि इस प्रक्रिया में गुदा के
बेक्टिरिया योनि या मूत्र द्वार तक न पहुंचें।
बाथ टब के बजाय शॉवर या मग्गे बाल्टी से नहाएं
गाजर और पालक का सुप बनाकर पीने से भी आराम मिलता है
प्याज़ से फ्री रेडिकल्स बाहर निकलते है तो आपको प्याज़ को सलाद के रूप में ले ताकि तो जल्दी आराम मिलेगा
ब्लैडर में मौजूद बैक्टीरिया को सिट्रिक एसिड के द्वारा ख़तम किया जा सकता है तो निम्बू पानी का सेवन करे
और अगर दर्द हो तो गर्म कपडे से सिकाई भी कर सकते है
होमियोपैथी यूरिन इंफेक्शन में भी बहुत अच्छा काम करती है
कैन्थरिस
स्टेफाईसेगरीया
बर्बेरिस वल्गैरिस
बेंज़ोइक एसिड
सर्सपारिल्ला आदि दवाए लक्षणों के आधार पर दी जाती है तो किसी होमियोपैथिक विशेषज्ञ की देख रेख में ही ले.