प्रो. सत्येन्द्र कुमार सिंह ( न्यूज़ एडिटर-आई.सी.एन. ग्रुप )
महिलाओं के सम्मान एवं बराबरी का दर्ज़ा देने का एक प्रयास, जी हाँ! एक छोटा सा प्रयास है ०८ मार्च को मनाये जाना वाला अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस| किन्तु विचारनीय बिंदु यह है कि इस बात की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? क्या यह दिवस भारतीय परिपेक्ष्य में प्रासंगिक भी है क्या?
दूर दराज़ के कबिले जो कि शिक्षा आदि से दूर है वहां महिला बराबरी की हिस्सेदार है| इसका तात्पर्य कही यह तो नहीं कि आधुनिकता के दौर में हम अपनी मूल संस्कृति जिसमे नारी एवं प्रकृति को सम्मान एवं समानता के साथ देखा जाता था, अब अपना अस्तित्व खो रहा है|
सिख धर्म में महिलाऐं कंधे से कंधा मिला कर हर कार्य करती हैं तो इस्लाम में निकाह में कबूलनामा स्त्री के समकक्ष होने की बात करती है| हिन्दू धर्म में नारी की पूजा की जाती है और उसका नाम देवताओं से पहले आता है| तो इसका मतलब तो यही निकलता है न कि हम धर्म से विमुख होते जा रहे हैं और दम्भ भरते है अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मानाने का|
भारतीय समाज में अगर हम देखें तो निमालिखित महिलाओं ने विगत वर्षों में अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं और बहुतों के नाम से शायद हम अनजान भी होंगे|
शुरुआत करते हैं आनंदीबाई गोपालराव जोशी से, जिन्होंने १८८७ में ही पहली भारतीय महिला चिकित्सक होने का गौरव प्राप्त किया है और वो अमेरिका जाने वाली पहली भारतीय महिला थी| रोशनी शर्मा ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक मोटरसाइकिल चला कर प्रथम महिला होने का गौरव प्राप्त किया|
जहाँ १९८८ में पुणे निवासी शीला डावरे को देश की पहली महिला ऑटोरिक्शा ड्राईवर बनने का अवसर मिला वहीँ अरुणिमा सिन्हा ने २०११ में माउंट एवेरेस्ट की चढाई की| अरुणिमा ने अपनी एक टांग एक दुर्घटना में खो दिया था| १९६६ में रीता फ़रिया पॉवेल मिस वर्ल्ड बनने वाली पहली एशियाई महिला बनी और बाद में वह एक डॉक्टर भी हुई|
१९५९ में आरती सिन्हा ने इंग्लिश चैनल पार किया और १९६० में पद्मश्री से सम्मानित होने वाली पहली महिला खिलाडी बनी| २००४ में मिथाली राज न्यूजीलैंड के खिलाफ डबल सेंचुरी बना कर पहली महिला क्रिकेटर बनी| मदर टेरेसा को १९७९ में नोबेल पुरुस्कार मिला और इस सम्मान को लेने वाली वह प्रथम भारतीय महिला बनी| भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी को १९७१ में भारत रत्न से सम्मानित किया गया तथा १९९९ में बी.बी.सी. द्वारा जनमत में उन्हें ‘सहस्त्राब्दी की महिला’ नामित किया गया|
एक ओर जहाँ २००७ में प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी वही १९९७ में अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला का गौरव कल्पना चावला को मिला| किरण बेदी १९७२ में भारत की पहली महिला पुलिस ऑफिसर बनी और २००३ में उन्हें यूनाइटेड नेशंस सिविल पुलिस एडवाइजर का कार्य सौपा गया|
१९८९ में फातिमा बीवी को उच्चतम न्यायालय के पहली महिला जज बनने का अवसर मिला| २००५ में सानिया मिर्ज़ा ने विश्व टेनिस एसोसिएशन (WTA) टाइटल को जीता और वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनी| २०१५ में WTA डबल्स रैंकिंग में वह प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला बनी| २०१२ में ओलिंपिक गेम्स में बैडमिंटन में पदक जितने वाली पहली भारतीय महिला का गौरव सानिया नेहवाल को मिला| २०१५ में उन्हें विश्व रैंकिंग में प्रथम स्थान मिला|
१९३६ में प्रथम महिला के तौर पर विमान उड़ाने का मौका सरला ठकराल को मिला जब वह मात्र २१ वर्ष की थी| १९६६ में दुर्गा बनर्जी को इंडियन एयरलाइन्स का कप्तान बनाया गया| हरिता कौर देओल को १९९४ में इंडियन एयरफोर्स का प्लेन चलाने का अवसर मिला| १९९३ में इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली प्रिय झिंगरन पहली महिला बनी|
मैरी कॉम २०१२ में क्वालीफाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी और २०१४ के एशियाई गेम्स में गोल्ड मैडल भी मिला| १९८४ में माउंट एवेरेस्ट पर पहुँच कर बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला बनी| भक्ति शर्मा एशिया की पहली महिला बनी जिन्होंने अन्टार्टिक पार किया| ऐसा करने वाली वह दुनिया की सबसे कम उम्र की तैराक बनी और कालांतर में उन्होंने पाँचों महासागर पार किया है|
हर्शिनी कान्हेकर भारत की प्रथम महिला दमकल कर्मचारी बनी| पूजा ठाकुर पहली महिला ऑफिसर बनी जिन्हें अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा के आगमन पर इंटर-सर्विस गार्ड ऑफ़ हॉनर देने का अवसर प्राप्त हुआ| दीपिका पल्लिकल विश्व स्क्वैश एसोसिएशन रैंकिंग में प्रथम १० में आने वाली पहली भारतीय महिला बनी| अर्जुन अवार्ड से सम्मानित तानिया सचदेव २००५ में चेस में महिला ग्रेंडमास्टर बनी और २००८ में अन्तराष्ट्रीय मास्टर बनी|
फीफा में अन्तराष्ट्रीय रेफरी बनने वाली रूपा देवी भारत की पहली महिला हैं| किरण देसाई ने २००६ में ‘इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस’ के लिए मैनबुकर पुरस्कार प्राप्त किया| फाल्गुनी शाह ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वेस्टर्न म्यूजिक के साथ मिला कर संगीत की दुनिया में अपना नाम बनाया है और ए.आर. रहमान, रिकी मार्टिन आदि के साथ भी काम किया है| मिसाइल वुमेन ऑफ़ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध टेस्सी थॉमस अग्नि-४ की प्रोजेक्ट डायरेक्टर है|
उपरोक्त महिलाएं तो हमारे लिए गौरव एवं उपलब्धि का विषय हैं किन्तु यह वर्तमान इतिहास का हिस्सा मात्र है| पौराणिक गाथाओं से लेकर समाज के हर हिस्से में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाने वाली महिला एक माँ भी है और बहन भी, दोस्त भी और जीवनसाथी भी| संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम भी वो ही है|
तो वो हमारे लिए सदा वन्दनीय है और केवल एक दिवस की मोहताज नही| आज़ादी के नित नए रूप को जीवन में उतारती आज की महिला बाइक भी चलाती है और सिगरेट के धुंए में अपने फ़िक्र को उडाती भी है| वो आत्म-सुरक्षा भी करती है और राजनीती के गुण भी जानती है| और कभी एकांत में सोचती है और बनती है स्वयं एक कविता|
तेरी सफलता की
लिए,
खड़ी दूर
किन्तु
प्रतिबद्ध है वह ।
लक्ष्य प्राप्ति से
ऊँचा माथा
किन्तु
शब्द है वह ।
जीवन न्योछावर की उपमा,
जी हाँ! वचनबद्ध है वह ।
तेरी हर बुलंदियों पर
दासी स्वरूपा
करबद्ध है वह ।
दुत्कारी हुई कहानी है औरत,
हाँ, स्तब्ध है वह ।
तो क्या एक वादा आज के दिन पुरुष कर सकते हैं कि वह मंच पर महिलाओं को सम्मान की औपचारिकता के बाद उन्हें रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में भी सम्मान देंगे वरना इस दिवस की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह तो लगेगा ही|
खैर, अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की दिल से शुभकामनाएं|