पंचनदः चंबल संग्रहालय के पांच वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। चंबल परिवार की तरफ से चंबल संग्रहालय का पांचवां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है। पांच नदियों के महासंगम पचनद पर चंबल परिवार की बैठक संपन्न हुई जिसमें सर्व सम्मति से आगामी 22-23 सितंबर को पंचनद पर स्थापना दिवस समारोह आयोजन को लेकर चर्चा हुई। बताया गया कि चंबल घाटी क्षेत्र में 2800 किमी से अधिक की साइकिल यात्रा करके डॉ. शाह आलम राना ने दस्तावेजीकरण किया था और सितंबर 2018 में चंबल संग्रहालय की स्थापना की…
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चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए 32 देशों से 184 फिल्मों का आवेदन, चुनिंदा फिल्मों का होगा प्रदर्शन
धौलपुरः चंबल अंचल की नई छवि गढ़ने को बेताब घाटी का पहला फिल्म समारोह ‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ धीरे-धीरे समाज में जगह बनाने के साथ अब देश-विदेश के फिल्मकारों के खासा लोकप्रिय होता जा रहा है। यही वजह है कि धौलपुर में होने जा रहे चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के सातवें संस्करण के लिए इस बार भारत, ताइवान, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, स्पेन, पुर्तगाल, सर्बिया, तुर्की सहित 32 देशों से विभिन्न श्रेणियों में कुल 184 फिल्में प्राप्त हुईं। इनमे फीचर फिल्म, शार्ट फिल्म, डाक्युमेंट्री, वेब सीरिज और मोबाइल…
Read Moreआओ बंधें एक सूत्र में
पंचनद: पांच नदियों के महासंगम पर चंबल विद्यापीठ परिसर में बच्चों ने खूबसूरत मोतियों को धागों में पिरोकर सुन्दर राखी बनाई और एक दूसरे को बांधी. चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि रक्षा बंधन अर्थात राखी यानी कि रखवाली का भाव अपने में समेटे हुए है। हमारी भारतीय संस्कृति में बहनें भाइयों की कलाई पर सूत्र अर्थात धागा बाँध कर अपनी भाइयों से अपनी हिफाजत का वचन लेती हैं। आज के संदर्भ में इसे हम सभी को वर्तमान हालात के मुताबिक स्वीकार करते हुए संकल्पबद्ध होना…
Read Moreसब कुछ याद रखा।
तरुण प्रकाश, सीनियर एसोसिएट एडिटर-ICN आज मैंने सोच रखा था, कुछ नहीं भूलूगां आज – कुछ भी नहीं। अपने रूमाल में गांठ बांधकर रखी थी ताकि जितने बार जेब में मेरा हाथ जाये, रूमाल की गांठ मुझे मेरे संकल्प की याद दिलाती रहे। यह विधि बचपन में मुझे मेरी दादी ने बताई थी। मैंने सोच रखा था, शारीरिक- मानसिक -तकनीकी जितनी भी विधियाँ संभव है- मैं सबका सहारा लूगां लेकिन कुछ भी नहीं भूलूगां आज। कल रात में ही छोटी बेटी ने कह रखा था कि सवेरे उसके स्कूल में…
Read Moreग़ज़ल
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप वो मुझसे मुलाक़ात की तदबीर करे गा कुछ रंग यक़ीनन वो मेरे दिल में भरे गा The beloved will design for meeting some strategy Would fill my heart with some colors decidedly ये तये हुआ देखा जो उसे पहली नज़र ने वो ऐसा हसीं है कि जो मन मेरा हरे गा On first sight it was apparent certainty That she would capture my heart has such beauty मैं सोचता हूँ ग़ैर से उसकी हुई क़ुरबत दिन आ गए अब उसके वो बेमौत मरे…
Read Moreसेल्फी : मनोरंजन या मनोरोग ?
डॉ. संजय श्रीवास्तव क्या आप सभी जानते है की एक ख़ास सर्वेक्षण के अनुसार अवसाद के बाद दुस्साहसिक सेल्फी लेना युवाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण निकल कर सामने आया है | यूँ तो आप सभी जानते ही हैं की तस्वीरें खिचवाने का या अपनी तस्वीरे बनवाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है उसके पीछे का मनोविज्ञान यही है की हर व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है और वह अपनी खूबसूरत तस्वीर को देख कर गौरान्वित अनुभव करता है ,प्रसन्न होता है वक़्त बदलता गया…
Read Moreधौलपुर में पहली बार बड़ा आयोजन
‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-7’ में मिलेगा नई प्रतिभाओं को मौका, जिला कलक्टर ने जारी किया पोस्टर -अंतिम चरण की तैयारियों में जुटे आयोजक धौलपुरः चंबल अंचल की सकारात्मक पहचान को उभारने के लिए चल रही मुहिम और आगे बढ़ने जा रही है. इसका नया ठिकाना धौलपुर है. धौलपुर में पहली बार ‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-7’ होने जा रहा है. इसका पोस्टर भी जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने रिलीज कर दिया है। ‘चंबल परिवार’ के बैनर तले चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का सातवां संस्करण इस बार 9-10 सितंबर को धौलपुर के…
Read Moreआजादी आंदोलन का उपेक्षित महाविद्रोही
डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ: एक दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित होती जा रही इस दुनिया में किसी भी जन नायक को भुला देने के लिए डेढ़ सौ वर्ष कम नहीं होते। जब हमारे ही लोग उस गौरवशाली विरासत की शानदार धरोहर को सहेज कर न रख पा रहे हो तो सत्ता को कोसने का क्या मतलब? दरअसल इतिहासकी भी दो किस्में हैं। एक तो राजा, रजवाड़ों, रियासतों, ताल्लुकेदारों, नवाबों, बादशाहों, शहंशाहों का, तो दूसरा जनता का। सत्ता का चरित्र इस तरह का होता…
Read Moreकुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा
डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन की आजादी के लिए महज सत्ताईस साल की उम्र में कुर्बान हो गए। उनकी रगों में बहता लहू का हर एक कतरा सिर्फ इस देश की आजादी के लिए ही था। वे देशभक्ति की ऐसी मिसाल हैं जिनका बस नाम ही काफी है। अशफाक के लिखे वे राज जो उनकी डायरी के पन्नों में दफ्न थे, उनकी तहें पहली बार खोली जा रही हैं। जून, 2011 गर्मियों की बात है। अशफाकके शाहजहांपुर स्थित पुश्तैनी…
Read Moreप्राचीन गुरु व शिष्य, बनाम आधुनिक अध्यापक व विद्यार्थी
मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूँ । ईश्वर ने इंसान को दुनिया में रहने के लिए इंसान के रिश्ते और उसके रिश्तेदार बनाए हैं। प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर माता-पिता बनाए भाई बहन अन्य रिश्तो की सौगात हमारी झोली में डाली। किसी भी व्यक्ति की कामयाबी पर उसके माता-पिता भाई-बहन वह अन्य सगे संबंधी बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं मगर इन रिश्तों के बीच में एक ऐसा रिश्ता भी है जो रिश्ता खूनी व कुदरती तो नहीं मगर प्रेम स्नेह व वफा की कसौटी पर सदियों से खरा उतरता आ रहा…
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