सब कुछ याद रखा।

तरुण प्रकाश, सीनियर एसोसिएट एडिटर-ICN   आज मैंने सोच रखा था, कुछ नहीं भूलूगां आज – कुछ भी नहीं। अपने रूमाल में गांठ बांधकर रखी थी ताकि जितने बार जेब में मेरा हाथ जाये, रूमाल की गांठ मुझे मेरे संकल्प की याद दिलाती रहे। यह विधि बचपन में मुझे मेरी दादी ने बताई थी। मैंने सोच रखा था, शारीरिक- मानसिक -तकनीकी जितनी भी विधियाँ संभव है- मैं सबका सहारा लूगां लेकिन कुछ भी नहीं भूलूगां आज। कल रात में ही छोटी बेटी ने कह रखा था कि सवेरे उसके स्कूल में…

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ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप  वो मुझसे मुलाक़ात की तदबीर करे गा कुछ रंग यक़ीनन वो मेरे दिल में भरे गा The beloved will design for meeting some strategy Would fill my heart with some colors decidedly ये तये हुआ देखा जो उसे पहली नज़र ने वो ऐसा हसीं है कि जो मन मेरा हरे गा On first sight it was apparent certainty That she would capture my heart has such beauty     मैं सोचता हूँ ग़ैर से उसकी हुई क़ुरबत दिन आ गए अब उसके वो बेमौत मरे…

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धौलपुर में पहली बार बड़ा आयोजन

‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-7’ में मिलेगा नई प्रतिभाओं को मौका, जिला कलक्टर ने जारी किया पोस्टर -अंतिम चरण की तैयारियों में जुटे आयोजक धौलपुरः चंबल अंचल की सकारात्मक पहचान को उभारने के लिए चल रही मुहिम और आगे बढ़ने जा रही है. इसका नया ठिकाना धौलपुर है. धौलपुर में पहली बार ‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल-7’ होने जा रहा है. इसका पोस्टर भी जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने रिलीज कर दिया है। ‘चंबल परिवार’ के बैनर तले चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का सातवां संस्करण इस बार 9-10 सितंबर को धौलपुर के…

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आजादी आंदोलन का उपेक्षित महाविद्रोही

डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ: एक दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित होती जा रही इस दुनिया में किसी भी जन नायक को भुला देने के लिए डेढ़ सौ वर्ष कम नहीं होते। जब हमारे ही लोग उस गौरवशाली विरासत की शानदार धरोहर को सहेज कर न रख पा रहे हो तो सत्ता को कोसने का क्या मतलब? दरअसल इतिहासकी भी दो किस्में हैं। एक तो राजा, रजवाड़ों, रियासतों, ताल्लुकेदारों, नवाबों, बादशाहों, शहंशाहों का, तो दूसरा जनता का। सत्ता का चरित्र इस तरह का होता…

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कुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा

डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन की आजादी के लिए महज सत्ताईस साल की उम्र में कुर्बान हो गए। उनकी रगों में बहता लहू का हर एक कतरा सिर्फ इस देश की आजादी के लिए ही था। वे देशभक्ति की ऐसी मिसाल हैं जिनका बस नाम ही काफी है। अशफाक के लिखे वे राज जो उनकी डायरी के पन्नों में दफ्न थे, उनकी तहें पहली बार खोली जा रही हैं। जून, 2011 गर्मियों की बात है। अशफाकके शाहजहांपुर स्थित पुश्तैनी…

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प्राचीन गुरु व शिष्य, बनाम आधुनिक अध्यापक व विद्यार्थी

मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूँ । ईश्वर ने इंसान को दुनिया में रहने के लिए इंसान के रिश्ते और उसके रिश्तेदार बनाए हैं। प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर माता-पिता बनाए भाई बहन अन्य  रिश्तो की सौगात हमारी झोली में डाली। किसी भी व्यक्ति की कामयाबी पर उसके माता-पिता भाई-बहन वह अन्य  सगे संबंधी बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं मगर इन रिश्तों के बीच में एक ऐसा रिश्ता भी है जो रिश्ता खूनी  व कुदरती  तो नहीं मगर प्रेम स्नेह व वफा की कसौटी पर सदियों से खरा उतरता आ रहा…

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जीवित रहने के लिए पानी की तरह जरूरी है प्रोटीन

डॉ. नौशीन अली ब्यूरो चीफ आई.सी.एन. (म.प्र) प्रोटीन शरीर के निर्माण में यह अपनी अहम भूमिका निभाता है व पाचक रसों (गेस्ट्रिक जूस ) का निर्माण करता है। भोपाल।प्रोटीन की कमी से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।सिनोविअल फ्लूइड प्रोटीन से बना होता है और यह जोड़ों में मौजूद होता है.जोड़ों को लचीला बनता है.साथ ही मांसपेशियों का पुनर्निर्माण करता है। प्रोटीन की कमी से फ्लूइड कम बनता है जिससे जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है.प्रोटीन सिर्फ बॉडी बनाने की चाहत रखने वालों के लिए ही जरूरी नही होता, बल्कि यह खासोआम की…

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ग़ज़ल/GHAZAL

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप  ये ठीक है हर एक के वो यार नहीं हैं मेरे लिए बिल्कुल भी वो दुश्वार नहीं हैं correct she is not close to all and sundry Not at all she is difficult to me तुमको ही मुबारक हो ये अंदाज़ तुम्हारा हम ऐसी मोहब्बत के तलबगार नहीं है Keep such style of love to yourself, yours typically I do not desire that I say this regretfully जो हाल हुआ मेरा सबब उसका वही है मैंने जो ये समझा था वो बेदार नहीं हैं The…

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उर्दू शायरी में ‘आसमान’ : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर यह आसमान है क्या? सुनते हैं – दिन को नीला, रात को काला और कभी-कभी अपनी ही मनमर्ज़ी से रंग बदलने वाला यह आसमान सिर्फ़ एक फ़रेब भर है। विज्ञान कहता है कि आसमान, आकाश, नभ, गगन, अंबर, फ़लक, अर्श या आप उसे जो भी कहते हैं, शून्य मात्र है। शून्य अर्थात ज़ीरो अर्थात कुछ भी नहीं। शून्य का कहीं कोई अस्तित्व नहीं होता लेकिन हमें तो सर के ऊपर इतना बड़ा आसमान दिखाई देता है जिसका न कोई ओर है न कोई छोर। जो दिखता है, वह है नहीं और…

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फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम अर्थात् ”विरासती आनुवंशिक विकार “का निदान ढूँढती निगाहों का गवाह बना इंडिया गेट

चन्द्रकान्त पाराशर , एडीटर-ICN हिंदी  नई दिल्ली : फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों के लिए प्रत्येक स्तर पर नैदानिक व्यवस्था अवश्य होनी चाहिये“-यह उदगार व्यक्त करते हुए चैती रंग से सराबोर इंडिया गेट की परिधि में आयोजित विश्व फ्रिजाइल एक्स जागरूकता समारोह के अध्यक्ष माननीय अर्जुन मुण्डा केंद्रीय मंत्री(जन जातीय मामले ) ने फ्रिजाइल एक्स सोसाइटी द्वारा पूरे भारत वर्ष में किए जा रहे कार्यों की भरपूर सराहना की ।उन्होंने इस मौके पर चैती रंग के ग़ुब्बारों को खुले आसमान में छोड़कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया । इस अवसर…

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