कुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा

डॉ. शाह आलम राना, एडीटर-ICN HINDI लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन की आजादी के लिए महज सत्ताईस साल की उम्र में कुर्बान हो गए। उनकी रगों में बहता लहू का हर एक कतरा सिर्फ इस देश की आजादी के लिए ही था। वे देशभक्ति की ऐसी मिसाल हैं जिनका बस नाम ही काफी है। अशफाक के लिखे वे राज जो उनकी डायरी के पन्नों में दफ्न थे, उनकी तहें पहली बार खोली जा रही हैं। जून, 2011 गर्मियों की बात है। अशफाकके शाहजहांपुर स्थित पुश्तैनी…

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अंग्रेजी “टी” जो अब विलायत में “चाय” बनकर खूब टहल रही

चन्द्रकान्त पाराशर , एडीटर-ICN हिंदी लंदन 15-12-24:  विलायत/लंदन की सड़कों पर भारतीय चाय की खुशबू खूब महक रही है. विलायत के शहरों में छोटी-बड़ी मार्केट में भारतीय परिवेश अनुसार बनी चाय यानी टी खूब  प्रसिद्धि पा रही है. लंदन समेत कई देशों में “चाय” शब्द का मतलब ही भारतीय शैली की चाय हो गया है. भारतीयों ने चाय को एक नया स्वाद है, जिसने दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बना ली है. आइए जानते हैं लंदन में भारतीय चाय के इस जादू के पीछे की कहानी. अक्सर कहा जाता है…

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अवार्ड समारोह में अंतरराष्ट्रीय फिल्मों ने बटोरी सराहना

अयोध्या: अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के समापन समारोह में सोमवार को फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही अवार्ड वितरण भी हुआ। फिल्म समारोह के समापन के दौरान विदेशी फिल्मकार भी अयोध्या में अपने स्वागत सत्कार से अभिभूत नजर आए। फिल्म निर्माण की संभावनाओं की विभिन्न स्थलों पर भ्रमण कर पड़ताल भी की। विभिन्न सत्रों के दौरान फिल्मों पर परिचर्चा भी हुई तो अगले वर्ष दोबारा फिल्मों का मेला सजाने के वादे के साथ फिल्म फेस्टिवल ने वर्ष भर के लिए विराम पाया। गुरुनानक अकादमी सभागार में सुबह से ही फिल्मों का…

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हॉलीवुड के सितारों ने अवध में बांधा समां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल

अयोध्या: देश दुनिया के फिल्मी जगत के सितारों ने ’अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ के 18 वें संस्करण में अवध की शाम में मानो चार चांद लगाए तो दर्शकों ने भी फिल्म के पीछे की मेहनत को करीब से समझा। फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन गुरुनानक अकादमी इंटर कालेज सभागार में तीन सत्र के आयोजन में दर्शकों ने देश दुनिया से आए कलाकार और निर्देशकों से साक्षात्कार किया और फिल्मों के पीछे की दुनिया से भी अवगत हुए। प्रथम सत्र में फिल्म वर्कशॉप के दौरान फिल्म मेकिंग सत्र में फिल्मों के बेसिक्स,…

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थैलेसीमिया दिवस पर विशेष: हीमोग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया के सही काम ना करने से होती है थैलीसीमिया की बीमारी

डॉ अनुरूद्ध वर्मा हर वर्ष 8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है इसका दिवस का उद्देश्य थैलेसिमिया की बीमारी के संबंध में जनता में जागरूकता  उत्पन कर इसको रोकना  है ,इस रोग के साथ जीने के तरीके बताना, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देना ,थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को शादी से पहले चिकित्सक से परामर्श की सलाह देना । थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से मिलने वाला अनुवांशिक  रक्त-रोग है । इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन के निर्माण की प्रक्रिया ठीक…

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सेल्फी : मनोरंजन या मनोरोग ?

डॉ. संजय श्रीवास्तव क्या आप सभी जानते है की एक ख़ास सर्वेक्षण के अनुसार अवसाद के बाद दुस्साहसिक सेल्फी लेना युवाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण निकल कर सामने आया है | यूँ तो आप सभी जानते ही हैं की तस्वीरें खिचवाने का या अपनी तस्वीरे बनवाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है उसके पीछे का मनोविज्ञान यही है की हर व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है और वह अपनी खूबसूरत तस्वीर को देख कर गौरान्वित अनुभव करता है ,प्रसन्न होता है वक़्त बदलता गया…

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दिल्ली कैंट के संजय कैंप में मेडिकल टेस्ट और परामर्श शिविर का सफल आयोजन

नई दिल्ली: मेजर डॉ. टीसी राव और प्राइमस सुपर स्‍पेशियलिटी हॉस्पिटल के सौजन्य से दिल्ली कैंट विधानसभा क्षेत्र के संजय कैंप में एक सफल मेडिकल टेस्ट और परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी श्री श्याम जाजू ने दीप प्रज्वलित कर और रिबन काटकर किया। मीडिया से बातचीत के दौरान श्री श्याम जाजू ने बताया, “यह मेडिकल कैंप माननीय प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस पर शुरू हुए सेवा पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित किया गया है।” उन्होंने आगे कहा, “डॉ. टीसी राव दिल्ली…

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मशाल बनाम कुल्हाड़ी

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है?   ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों…

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गुड पेरेंटिंग: आज और भविष्य की ज़रूरत

डॉ. प्रांजल अग्रवाल, डिप्टी एडिटर-ICN लखनऊ। भौतिकता के इस दौर में, मकान हो या मोटर कार, क्रेडिट कार्ड हो या विदेश यात्रा, सभी भौतिक वस्तुओं तक लगभग सभी की पहुँच होती जा रही है | देखा- देखी के इस दौर में, किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से बेहतर, लोग शादी-पार्टी में अथवा गोल्ड लाउन्ज में सिनेमा देखने में अत्यधिक खर्च करना बेहतर समझते हैं | दिखावे का माहोल ऐसा बन पड़ा है की शहर में बड़े मकान से ले कर मोटर कार तक, या फिर मोबाइल फ़ोन से ले कर घड़ी/पर्स इत्यादि…

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प्राचीन गुरु व शिष्य, बनाम आधुनिक अध्यापक व विद्यार्थी

मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूँ । ईश्वर ने इंसान को दुनिया में रहने के लिए इंसान के रिश्ते और उसके रिश्तेदार बनाए हैं। प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर माता-पिता बनाए भाई बहन अन्य  रिश्तो की सौगात हमारी झोली में डाली। किसी भी व्यक्ति की कामयाबी पर उसके माता-पिता भाई-बहन वह अन्य  सगे संबंधी बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं मगर इन रिश्तों के बीच में एक ऐसा रिश्ता भी है जो रिश्ता खूनी  व कुदरती  तो नहीं मगर प्रेम स्नेह व वफा की कसौटी पर सदियों से खरा उतरता आ रहा…

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