आओ बंधें एक सूत्र में

पंचनद: पांच नदियों के महासंगम पर चंबल विद्यापीठ परिसर में बच्चों ने खूबसूरत मोतियों को धागों में पिरोकर सुन्दर राखी बनाई और एक दूसरे को बांधी. चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि रक्षा बंधन अर्थात राखी यानी कि रखवाली का भाव अपने में समेटे हुए है। हमारी भारतीय संस्कृति में बहनें भाइयों की कलाई पर सूत्र अर्थात धागा बाँध कर अपनी भाइयों से अपनी हिफाजत का वचन लेती हैं। आज के संदर्भ में इसे हम सभी को वर्तमान हालात के मुताबिक स्वीकार करते हुए संकल्पबद्ध होना…

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मानव -उत्थान बना जिनका दिव्य युग-धर्म

चन्द्रकान्त पाराशर (वरिष्ठ एसोसिएट एडिटर) ICN GROUP खनेरी,शिमला हिल्स: ऋषि -सत्ताओं की विशेष कृपा का पात्र रहा है पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा देवालय हिमाचल प्रदेश । जन -कल्याण व मानव -उत्थान को अपना ध्येय मानने वाले पेशे से हिमाचल प्रदेश विद्युत विभाग में बतौर इलेक्ट्रीशियन कार्यरत योगी रंजीत सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । मात्र 30 वर्ष की आयु में ही जिस लग्न ,कर्म निष्ठा व पर दुख कातरता के वशीभूत होकरउन्होंने योग -पद्धति के सिद्धांत व व्यवहारिक दोनों पक्षों से समाज के प्रत्येक वर्ग को परिचित…

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गीत-गीता : 20

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप    (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) तृतीय अध्याय (कर्म योग) (छंद 01-43)   श्रीकृष्ण : (श्लोक 16-21)   पार्थ! जो पुरुष सृष्टि का चक्र न समझे, करे कर्म आचार। करे जो रमण भोग में मात्र, पूर्ण जीवन उसका बेकार।।(16)   किंतु कर्तव्य नहीं कुछ और, अगर जन रहे आत्म में लीन। रहे संतुष्ट सदा हर भाँति, तृप्ति के साथ रहे तल्लीन।।(17)   कर्म करना, न करना कर्म,  प्रयोजन उसका एक समान। विरत रहता निज हित से और, स्वार्थ से वंचित मनुज महान ।।(18)…

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गीत-गीता : 19

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) तृतीय अध्याय (कर्म योग) (छंद 01-43)   श्रीकृष्ण : (श्लोक 8-14)   शास्त्र से जो भी है स्वीकार्य, श्रेष्ठ कारित करना है कर्म । कर्म के बंधन में है देह, कर्म है मानव तन का धर्म।।(8)   यज्ञ हित कर्म और अतिरिक्त, कर्म से बँधता है समुदाय। कर्म करना ही केवल श्रेष्ठ, यही हेै आवश्यक सदुपाय।।(9)   प्रजापति ब्रह्मा ने रच यज्ञ, संग दे प्रजा सहित संयोग। कहा, कर वृद्धि यज्ञ से प्राप्त, यज्ञ दे सबको इच्छित भोग।।(10)…

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गीत-गीता : 18

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) तृतीय अध्याय (कर्म योग) (छंद 01-43)   अर्जुन : (श्लोक 1-2)   जर्नादन! ज्ञान अगर है श्रेष्ठ, कर्म से यदि ऐसा संकेत। मुझे क्यों कर्म मार्ग में डाल- रहे जो पीड़ा का समवेत्।। (1)   ज्ञान या कर्म, कर्म या ज्ञान, भ्रमित करता मुझको यह कथ्य। कहाँ पर है मेरा कल्याण, तनिक स्पष्ट करें यह तथ्य।।(2)   श्रीकृष्ण : (श्लोक 3-35)   भ्रमित, निष्पाप, ज्ञान व कर्म, अलग हैं दोनों ही निष्ठायें। सांख्ययोगी प्रेरित है ज्ञान,  कर्मयोगी को…

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गीत-गीता : 17

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 78-85)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 55-72)   उस आनंदित साधक की, मति सुख सागर में खोती। पा साथ परम सत्ता का, गति उसकी स्थिर होती।।(78)   जो जीत नहीं पाता मन, एकाग्र भला कैसे हो। है शांति भाव से वंचित, दुखपूर्ण ह्रदय जैसे हो।।(79)   जिस भाँति वायु हर लेती, जल में तिरती नौका को। उस भाँति विषय पूरित मन, संपूर्ण डुबोता उसको।।(80)   हे महाबाहु, इससे ही, हैं जहाँ इंद्रियाँ वश…

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राम तो सबके हैं, राम तो सबमें हैं: पीएम मोदी

अयोध्या। पीएम मोदी ने अयोध्या में 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकंड पर शुभ मुहूर्त में राम मंदिर की नींव रखी। इससे पहले चांदी की 9 शिलाओं का पूजन किया गया। अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले उन्होंने हनुमानगढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी।कार्यक्रम को लेकर बनाए गए मंच पर पीएम मोदी, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास समेत केवल पांच लोग ही थे।आज पीएम मोदी ने 28 साल बाद रामलला के…

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गीत-गीता : 16

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 71-77)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 55-72)   जिस भाँति कवच के नीचे, कच्छप सब अंग सिकोड़े। मद, काम, विषय से वैसे, स्थिर मति मन को मोड़े।।(71)   विषयों से दूरी रख भी, आसक्ति नहीं जाती है। पर परम सत्य अनुभव कर, मति स्थिर रह पाती है।।(72)   आसक्ति न जब तक अर्जुन, संपूर्ण नष्ट होती है। विद्वान पुरुष का भी मन, यह विषयों में खोती है।।(73)   इसलिये विषय वश में कर,…

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गीत-गीता : 15

  तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप   (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 64-70)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53)   जो मात्र कर्म करते हैं, वे कर्म सहित फल खोते। कटते हैं बंधन सारे, वे मुक्त चक्र से होते।।(64)   हर मोह स्वयं तज जाता, हो निर्विकार खोता है। परलोक, लोक के ऊपर, वैराग्य प्राप्त होता है।।(65)   जब अटल, अचल स्थिर हो- विचलित मति, योग धरेगी। तब परम् आत्मा निसदिन, निश्छल संयोग करेगी।।(66)   अर्जुन : (श्लोक 54)   अर्जुन बोले, हे केशव,…

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गीत-गीता : 14

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप   (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 57-63)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53)   आकांक्षी कर्मफलों के, ऐश्वर्य, भोग के रागी। परिणाम स्वर्ग का चाहें, जो वेदवाक्य अनुरागी।।(57)   जो फल का चिंतन करते,  वे अविवेकी, अज्ञानी। है कहाँ बुद्धि स्थिरता, मन, जैसे बहता पानी।।(58)   अर्जुन, वेदों की शैली, फल देने हित निर्मित है। इसलिये शेष माया है,  आसक्ति सारगर्भित है।।(59)   जो ब्रह्म तत्व का ज्ञाता, जो सागर में तिरता है। लघुतम सा एक जलाशय, इन वेदों…

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