तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 57-63) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) आकांक्षी कर्मफलों के, ऐश्वर्य, भोग के रागी। परिणाम स्वर्ग का चाहें, जो वेदवाक्य अनुरागी।।(57) जो फल का चिंतन करते, वे अविवेकी, अज्ञानी। है कहाँ बुद्धि स्थिरता, मन, जैसे बहता पानी।।(58) अर्जुन, वेदों की शैली, फल देने हित निर्मित है। इसलिये शेष माया है, आसक्ति सारगर्भित है।।(59) जो ब्रह्म तत्व का ज्ञाता, जो सागर में तिरता है। लघुतम सा एक जलाशय, इन वेदों…
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वाल्मीकि रामायण पर आधारित उर्दू नाटक हिंद के राम के निर्देशक, मुश्ताक काक के साथ एक इंटरएक्टिव सत्र
नई दिल्ली। उर्दू लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम की लिखे वाल्मीकि रामायण पर आधारित उर्दू नाटक “हिंद के राम” की मंचीय प्रस्तुति निकट भविष्य में होने जा रही है। इस विषय में जानकारी देने एवं नाटक में हिस्सा लेने के इच्छुक नाट्यकर्मियो के साथ नाटक के निर्देशक श्री मुश्ताक काक (संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित), लेखक डॉ. मोहम्मद अलीम और निर्माता अतुल गंगवार ने एक लाइव सेशन में बातचीत की। गौरतलब है अभी कोरोना काल में सारी गतिविधियां ऑनलाइन हो रही हैं। इस प्रस्तुति को अदबी कॉकटेल के बैनर में किया…
Read Moreगीत-गीता : 13
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 50-56) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) जो भी तेरे बैरी हैं, अपशब्द तुझे बोलेंगे। पीड़ा के द्वार हज़ारों, वे नित तुझमें खोलेंगे।।(50) यदि युद्ध तुझे लीलेगा, तो स्वर्ग तुझे निश्चित है। यदि विजय तुझे मिल पाई, धन धान्य राज्य समुचित है।। (51) जय और पराजय दोनों, समभाव सहित स्वीकारे। तू लाभ-हानि, दुख-सुख को, तज कर आयुध निज धारे।।(52) हे पार्थ! बुद्धि क्या केवल, है ज्ञान योग की दासी।…
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तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 43-49) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) स्पष्ट तत्व है इसका, फिर भी भ्रम डोला करता। कोई कोई सब सुनकर, संशय ही खोला करता।। (43) आत्मा अवध्य हे भारत, हर प्राणी की होती है। है कहाँ शोक फिर इसमें, दुनिया नाहक रोती है।।(44) तू धर्म समझ तो अपना, क्षत्रिय कुल जो धरना है। हो एक बिंदु पर केंद्रित, बस धर्मयुद्ध करना है।। (45) खुद स्वर्ग द्वार खुलते हों, ऐसे…
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तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 36-42) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) तू जान गया जब इसको, क्या अर्थ शोक का है फिर। संवेगों को मत गति दे, कर पुन: बुद्धि को स्थिर।।(36) यदि फिर भी तू यह पाता, यह जन्म मृत्यु के अंदर। है जन्म सुनिश्चित इसका, मरता है यह कालांतर ।। (37) तो भी हे मित्र सुबाहु, जो जन्मा, वह मरता है। मरने वाला, हे अर्जुन, फिर देह नयी धरता है।।(38) इस…
Read Moreगीत-गीता : 10
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 29-35) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) मारती किसे है कब ये, है नहीं आत्मा मरती। इसका है नाश असंभव, कब मृत्यु इसे है हरती।।(29) आत्मा है सतत् अजन्मी, है मृत्यु क्षेत्र से बाहर। तन मृत्यु सहज पाता है, मन शाश्वत है, तन नश्वर ।।(30) हे पृथापुत्र, ज्ञानी को, यह तत्व सहज उद्घाटित । वह जन्म हीन, अव्यय है, सच उसका है स्थापित ।।(31) जिस भाँति देह वस्त्रों को,…
Read Moreगीत-गीता : 9
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 22-28) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) काया पर मोहित होना, कब धीर मनुज का लक्षण । मिथ्या माटी के पीछे, क्यों बरसाता है जलकण।।(22) कौंतेय, चक्र चलता है, निर्माण ध्वंस का पल पल। सुख दुख का, शीत तपन का, रवि उगता, फिर अस्ताचल।। (23) हे श्रेष्ठ पुरुष, सुख दुख में, जो धैर्य नहीं खोता है। निर्लिप्त रहा जो इनसे, वह मोक्ष योग्य होता है।।(24) सत्ता ही नहीं असत्…
Read Moreदक्षिण भारतीय सूफी संत हज़रत ख़्वाजा बंदे नवाज़ के ६१६ वें उर्स मुबारक का गुलबर्गा शरीफ मे आयोजन
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली: सैय्यद वल शरीफ़ कमालुद्दीन बिन मुहम्मद बिन यूसुफ़ अल हुसैनी का उर्स कर्नाटक के गुलबर्गा शरीफ मे 7 दिसंबर 2020 से 9 दिसंबर 2020 के बीच श्रद्धापूर्वक और धूमधाम से मनाया जा कहा है,आप दक्षिण भारत के सबसे बड़े मुस्लिम सूफी संत माने जाते है,बड़ी संख्या मे निसंतान जोड़े आपकी यहां मन्नत मांगनेआते है और लगभग सभी श्रद्धालु निराश नही होते है। भगवान है या नही? यह हमेशा बहस का विषय रहा है,हालांकि भगवान के होने या नही होने से राजनीतिक-कूटनीतिक गतिविधियो पर कोई असर…
Read Moreगीत-गीता : 8
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 15-21) संजय : (श्लोक 9-10) हे राजन्, जिसने निद्रा, पर विजय प्राप्त कर ली थी। उस अर्जुन की आँखों से, आँसू की धार बही थी।।(15) शोकाकुल अर्जुन बोले, मैं रिपु के हाथ मरूंगा। पर देव, समर अपनों से मैं हर्गिज़ नहीं करुंगा।। (16) फिर हँसे यशोदानंदन, दोनों दल मध्य खड़े वे। अर्जुन को तनिक निहारा, मुस्काये, बोल पड़े वे।। (17) श्रीकृष्ण : ( श्लोक 11-53) हे पार्थ,…
Read Moreगीत-गीता : 7
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 8-14) अर्जुन : (श्लोक 4-8) है किसे पता क्या होगा, परिणाम युद्ध का माधव। कौरव को विजय मिलेगी, या रण जीतेंगे पांडव।।(8) जो खड़ा सामने कुरु दल, वे भी हैं अपने भ्राता । उनके ही वध करके, क्या सुख से जुड़ पाये नाता?(9) हे नाथ, भ्रमित मति मेरी, कायरता, भय जगते हैं। आयुध हितकर कब मुझको अब किंचित भी लगते हैं।। (10) क्या धर्म भला इस पल है, …
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