लखनऊ, 02 सितंबर,2024.‘सिनेमा सृष्टि के जन्म से ही जीवित है’ – आई.सी.एन. मीडिया ग्रुप के एडीटर व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमिताभ दीक्षित ने ‘फिल्म, मीडिया और समाज’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में अपने विचार रखते हुये कहा। आई.सी.एन. मीडिया ने अपने लखनऊ स्थित परिसर में कल प्रसिद्ध प्लेराइटर, गीतकार, स्क्रीनराइटर, डॉयलाग राइटर व डायरेक्टर अज़ीम मलिक के सम्मान में एक परिचर्चा का आयोजन किया। उक्त कार्यक्रम फिल्म, पत्रकारिता व समाज के मध्य संबंधों की गहनता से पड़ताल की गई। परिचर्चा के प्रथम सोपान पर प्रो. (डॉ.) शाह अयाज़ सिद्दीकी,…
Read MoreCategory: ब्लॉग
मशाल बनाम कुल्हाड़ी
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है? ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों…
Read Moreसेल्फी : मनोरंजन या मनोरोग ?
डॉ. संजय श्रीवास्तव क्या आप सभी जानते है की एक ख़ास सर्वेक्षण के अनुसार अवसाद के बाद दुस्साहसिक सेल्फी लेना युवाओं में होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण निकल कर सामने आया है | यूँ तो आप सभी जानते ही हैं की तस्वीरें खिचवाने का या अपनी तस्वीरे बनवाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है उसके पीछे का मनोविज्ञान यही है की हर व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है और वह अपनी खूबसूरत तस्वीर को देख कर गौरान्वित अनुभव करता है ,प्रसन्न होता है वक़्त बदलता गया…
Read Moreमशाल बनाम कुल्हाड़ी
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है? ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों…
Read Moreधौलपुर में चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में देश-विदेश की फिल्में दिखाई गईं, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए
धौलपुर : चंबल परिवार द्वारा आयोजित ‘चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ का सातवें संस्करण देश-दुनिया की प्रमुख शख्सियतों की मौजूदगी में नगर परिषद सभागार में संपन्न हुआ। चंबल इंटरनेशनल फिल्म समारोह के चेयरमैन फिल्म निर्देशक डॉ. मोहन दास, फिल्म निर्माता धर्मेंद्र वर्मा, फिल्म निर्देशक डॉक्टर ओमेन्द्र कुमार, सुविख्यात रंगकर्मी मुकेश वर्मा, नगर परिषद सभापति श्रीमती खुशबू सिंह, चंबल टूरिज्म के प्रभारी डॉक्टर कमल कुशवाहा आदि अतिथियों ने संयुक्त रूप से उद्धाटन कर अन्तराष्ट्रीय फिल्म मानचित्र पर धौलपुर को पहचान दी। फिल्म उद्धाटन समारोह से पहले ‘चंबल मे जनजीवन’ रंगोली व ‘चंबल…
Read Moreआओ बंधें एक सूत्र में
पंचनद: पांच नदियों के महासंगम पर चंबल विद्यापीठ परिसर में बच्चों ने खूबसूरत मोतियों को धागों में पिरोकर सुन्दर राखी बनाई और एक दूसरे को बांधी. चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि रक्षा बंधन अर्थात राखी यानी कि रखवाली का भाव अपने में समेटे हुए है। हमारी भारतीय संस्कृति में बहनें भाइयों की कलाई पर सूत्र अर्थात धागा बाँध कर अपनी भाइयों से अपनी हिफाजत का वचन लेती हैं। आज के संदर्भ में इसे हम सभी को वर्तमान हालात के मुताबिक स्वीकार करते हुए संकल्पबद्ध होना…
Read Moreसब कुछ याद रखा।
तरुण प्रकाश, सीनियर एसोसिएट एडिटर-ICN आज मैंने सोच रखा था, कुछ नहीं भूलूगां आज – कुछ भी नहीं। अपने रूमाल में गांठ बांधकर रखी थी ताकि जितने बार जेब में मेरा हाथ जाये, रूमाल की गांठ मुझे मेरे संकल्प की याद दिलाती रहे। यह विधि बचपन में मुझे मेरी दादी ने बताई थी। मैंने सोच रखा था, शारीरिक- मानसिक -तकनीकी जितनी भी विधियाँ संभव है- मैं सबका सहारा लूगां लेकिन कुछ भी नहीं भूलूगां आज। कल रात में ही छोटी बेटी ने कह रखा था कि सवेरे उसके स्कूल में…
Read Moreआजादी आंदोलन का उपेक्षित महाविद्रोही
डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ: एक दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी, स्वार्थ और आत्मकेंद्रित होती जा रही इस दुनिया में किसी भी जन नायक को भुला देने के लिए डेढ़ सौ वर्ष कम नहीं होते। जब हमारे ही लोग उस गौरवशाली विरासत की शानदार धरोहर को सहेज कर न रख पा रहे हो तो सत्ता को कोसने का क्या मतलब? दरअसल इतिहासकी भी दो किस्में हैं। एक तो राजा, रजवाड़ों, रियासतों, ताल्लुकेदारों, नवाबों, बादशाहों, शहंशाहों का, तो दूसरा जनता का। सत्ता का चरित्र इस तरह का होता…
Read Moreकुरआन मजीद पर यह लिखकर अशफाक ने चूमा था फांसी का फंदा
डॉ. शाह आलम राना, एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN लखनऊ : अशफाक उल्ला खां एक ऐसे क्रांतिवीर जो वतन की आजादी के लिए महज सत्ताईस साल की उम्र में कुर्बान हो गए। उनकी रगों में बहता लहू का हर एक कतरा सिर्फ इस देश की आजादी के लिए ही था। वे देशभक्ति की ऐसी मिसाल हैं जिनका बस नाम ही काफी है। अशफाक के लिखे वे राज जो उनकी डायरी के पन्नों में दफ्न थे, उनकी तहें पहली बार खोली जा रही हैं। जून, 2011 गर्मियों की बात है। अशफाकके शाहजहांपुर स्थित पुश्तैनी…
Read Moreप्राचीन गुरु व शिष्य, बनाम आधुनिक अध्यापक व विद्यार्थी
मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूँ । ईश्वर ने इंसान को दुनिया में रहने के लिए इंसान के रिश्ते और उसके रिश्तेदार बनाए हैं। प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर माता-पिता बनाए भाई बहन अन्य रिश्तो की सौगात हमारी झोली में डाली। किसी भी व्यक्ति की कामयाबी पर उसके माता-पिता भाई-बहन वह अन्य सगे संबंधी बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं मगर इन रिश्तों के बीच में एक ऐसा रिश्ता भी है जो रिश्ता खूनी व कुदरती तो नहीं मगर प्रेम स्नेह व वफा की कसौटी पर सदियों से खरा उतरता आ रहा…
Read More