अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘चमन’, सेवानिवृत्त अधिकारी एवं लिटरेरी एडिटर-ICN हिंदी कहानी फैक्ट्री के गेट से बाहर निकलने के बाद महेश लाल गेट के बायीं तरफ स्थित कैण्टीन की ओर मुड़ गए। अपनी जर्जर, खड़खड़िया सायकिल को उन्होंने कैण्टीन की दीवार से टिकायी, कैण्टीन में घुस कर वहॉं अलग-अलग मेजों पर छितराए पड़े अखबार के पन्नों को समेटा और उन्हें ले कर अपने नियत स्थान यानी कोने वाली मेज पर जा बैठे। उनको देखते ही कैण्टीन का नौकर छोटू पानी का गिलास रख गया। उसे चाय के लिए कह कर…
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कामयाबी किसी भी क़ीमत पर।
मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूं। ईश्वर ने इस संसार की सृष्टि रचने के साथ-साथ इस संसार को क़यामत तक चलाने के लिए इस धरती पर मनुष्य को पैदा किया और मनुष्य को पैदा करके उसे संसार में अकेला भटकने के लिए नहीं छोड़ दिया बल्कि उसकी मदद करने और उसकी सेवा करने के लिए हजारों की तादाद में अन्य प्रजातियों को पैदा किया। ईश्वर ने मनुष्य को सबसे अफजल (उत्तम) the most favourite मखलूक (प्रजाति) की श्रेणी में रखा और उसकी सेवा के लिए धरती पर विभिन्न प्रकार की सब्जियां…
Read Moreपाकिस्तान के सामने वैचारिक अस्तित्व का संकट
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। आज पाकिस्तान गंभीर संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान चाहे कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें करें और चाहे चीन से मिलकर भारत के विरुद्ध विश्व में अपना वर्चस्व दिखाने का दावा करें लेकिन वह मन ही मन समझते हैं कि वह उस जर्जर और कमजोर देश के नेता हैं जिसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग रहा है। पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक संकट तो है ही पर यह वैचारिक संकट वर्ष 1970-71 के संकट से भी बड़ा है जब पाकिस्तान विभाजित हुआ और…
Read Moreजॉर्ज-एक हीरो। जो जीरो हो गए।
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। वर्ष 1980 के दशक से प्रारंभ हुए आर्थिक उदारवाद के युग में जन्मी और बढ़ी हुई पीढ़ियों के लिए शायद यह समझना बहुत मुश्किल होगा। 1950-60 के दशकों में युवावस्था की दहलीज पर पैर रखने वालों के लिए विरोध का कितना महत्व था। यथा स्थिति और व्यवस्था तथा स्थापित समस्याओं का विरोध करने वाले स्वर बहुत ही सम्मानजनक तथा रोमांचकारी माने जाते थे जिन्हे सामाजिक संचेतना रखने वाला हर युवा अपना आदर्श बनाना चाहता था। वर्ष 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मिली स्वतंत्रता के…
Read Moreबॉलीवुड की यहूदी परियां : एक नज़राना (श्रद्धांजलि)-प्रमिला (Esther Victoria Abraham)
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN (The Jewish Fairies of Bollywood : A Tribute) नई दिल्ली। बॉलीवुड मे यहूदी अभिनेत्रियो के आगमन से पहले पुरुष कलाकार महिलाओ की भूमिका भी अदा किया करते थे,क्योकि संभ्रांत/सम्मानित परिवारो की महिलाये फिल्मो मे काम (अभिनय) करना दुष्कर्म (पाप) समझती थी,बल्कि सिर्फ राजा-नवाब के दरबार मे नाचने-गाने वाली नर्तकी-गायिका ही फिल्मो मे काम करने का ज़ोख़िम लेती थी।फिर बॉलीवुड से जुड़े परिवारो की महिलाये अपने परिवार के पुरुष सदस्यो की सहायता के नाम पर फिल्मो मे अभिनय करने लगी,किंतु क्रांति तब आई जब कामकाजी महिलाये अधिक…
Read Moreराजस्थान : सचिन पायलट न घर के न घाट के।
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिलहाल अपनी कुर्सी बचाने में सफल हो गए हैं। इस तरह लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के संघर्ष का पहला राउंड जीत लिया है। आगे आने वाले दिनों में क्या होगा इस समय कहना कठिन है। पर जिस तरह से सचिन पायलट को बैकफुट पर आना पड़ा और जिस तरह अपनी रणनीति में असफल होने के बाद बीजेपी के नेताओं को अपना मुंह छिपाना पड़ रहा है, उससे लगता है कि राजस्थान का राजनीतिक संकट फिलहाल टल गया…
Read Moreबढ़ती हुई आबादी मानव जाति के लिये भस्मासुर है! तो जनसंख्या दिवस पर सिर्फ चिंतन-मंथन ही क्यो?
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली: पिछले तीन दशको से हर 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस के अवसर पर समाचार पत्रो मे बड़े-बड़े विज्ञापन और लेख छपते है,फिर दोपहर से कार्यक्रम शुरू हो जाते है जिसमे बुद्धिजीवी तथा समाज के सम्मानित व्यक्ति जमकर भाषण-बाजी करते है और चाय-नाश्ता या भोजन करने के बाद सब अपने-अपने घर जाकर सो जाते है।इन लोगो का दायित्व था कि घर जाकर अपने परिवृत के मनुष्यो को जनसंख्या नियंत्रण विषय पर शिक्षित तथा प्रशिक्षित करते,लेकिन यह बुद्धिजीवी जनसंख्या नियंत्रण विचार को एक आंदोलन का रूप…
Read Moreगुड पेरेंटिंग: आज और भविष्य की ज़रूरत
डॉ. प्रांजल अग्रवाल, डिप्टी एडिटर-ICN लखनऊ। भौतिकता के इस दौर में, मकान हो या मोटर कार, क्रेडिट कार्ड हो या विदेश यात्रा, सभी भौतिक वस्तुओं तक लगभग सभी की पहुँच होती जा रही है | देखा- देखी के इस दौर में, किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से बेहतर, लोग शादी-पार्टी में अथवा गोल्ड लाउन्ज में सिनेमा देखने में अत्यधिक खर्च करना बेहतर समझते हैं | दिखावे का माहोल ऐसा बन पड़ा है की शहर में बड़े मकान से ले कर मोटर कार तक, या फिर मोबाइल फ़ोन से ले कर घड़ी/पर्स…
Read Moreभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक्शे-क़दम पर चलते नेपाल के प्रधानमंत्री अथवा “इवेंट मैनेजर” खड्गप्रसाद शर्मा ‘ओली’।
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली। हम भारतीय जब भी नेपाल के प्रधानमंत्री ओली’ का नाम सुनते-पढ़ते है, तो हमारे मन मे उनकी छवि एक भारत विरोधी राजनीतिज्ञ अर्थात हमारे देश के दुश्मन की बनती है,किंतु हक़ीक़त उल्टी है क्योकि नेपाल मे उन्हे भारत-परस्त अर्थात भारत के लिये ‘सॉफ्ट-कार्नर’ रखने वाला माना जाता है, वास्तव मे यह भ्रम ओली की बुद्धिमता-दूरदर्शिता और कार्यकुशलता का ही परिणाम है,कि उनके निकट संबंधी और मित्र भी यह नही जानते है कि उनका अगला क़दम क्या होगा? ओली का बचपन बहुत अभाव मे बीता है…
Read Moreडर–लॉक डाउन–अनलॉक
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर, आई.सी.एन. वर्ल्ड उस वक़्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी फ़िक्र के आसार थे जब उन्होंने मार्च २४ २०२० रात आठ बजे सारे मुल्क में लॉक डाउन का ऐलान किया और बहोत बेबसी से कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है जब अपनी तमाम तबाहकारियों के साथ कॅरोना मुल्क में प्रवेश कर चूका था और उसने इटली इंग्लैंड और इंसानी सोच के मुताबिक़ संसार की महान शक्ति समझी जाने वाले अमेरिका को तक़रीबन यक़ीन दिलाना शुरू कर दिया था कि इंसानी अधिकार…
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