प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। किसी देश और उसके देशवासियो के चरित्र की सही परीक्षा संकट की घडी में ही होती है। अच्छे समय में तो सब कुछ ही अच्छा लगता है। आज जब विश्व के तमाम अन्य राष्ट्रों के साथ हमारा देश भी गंभीर संकट के समय से गुजर रहा है तो यह प्रश्न स्वाभाविक ही है कि क्या हम इस संकट का सामना चारित्रिक दृढ़ता, धैर्य, ईमानदारी, निस्वार्थ भाव, त्याग और सेवा की भावना से कर रहे है अथवा नही? यह भी जानना आवश्यक है कि क्या…
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प्यारे दोस्तों…..
आकृति विज्ञा ‘अर्पण’,असिस्टेंट ब्यूरो चीफ-ICN U.P. घड़ी बार बार कह रही दो बजने को हैं और मन कह रहा कुछ और तारे गिन लो।तारे आसमान में हैं और देखो तो आँखों में उग आते हैं और जब ये आँखों में उग आते हैं तो असल में एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जहाँ मैं बहुत ही धनी होती हूँ।कितना सुखद है न कि कोई विचार ही न आये और विचार न आने के सिलसिले के बीच कुछ बातों के फूल महकने लगते हैं और बातें भी कैसी? सब तुम्हारी बातें।…
Read Moreपेड-मीडिया केे निशाने पर हिंदुस्तान की गंगा-जमुना तहज़ीब
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। पत्रकारिता मुझे विरासत मे मिली, मेरे छोटे नाना का छोटे से शहर मे छोटा सा एक अखबार था,उनके मंझले बेटे अखबार तैयार (मूल-प्रतिलिपी) किया करते थे,वह शिक्षक होने के कारण समय के अभाव मे मेरी माता जी से अक्सर सहायता लिया करते थे। मै देखता था कि मेरी माता जी पुस्तक कला की तरह काग़जो को काट-काट कर चिपकाया तथा अजीब सा बनाया करती थी,जो बाद मे एक समाचार पत्र जैसा लगने लगता,फिर एक चरखे जैसी मशीन मे घुमाकर उसकी फोटो-कॉपिया बनती थी,जब अखबार…
Read Moreराष्ट्र की कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ और उसका समाधान : ICN मीडिया हाउस का एक प्रयास
By: Dr. Bhola Nath Mishra, Head-EHS, Regional Convener-SJM (U.P. & U.K.) & Sr. Consulting Editor-ICN Group भारत गाँवों में बसता है और ग्रामीण अर्थ व्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है। ये भारत का सौभाग्य कहिये कि खेती योग्य सर्वाधिक भूमि, अनुकूल जलवायु,ऋतुयें, कृषि हेतु आवश्यक प्राकृतिक संसाधन,जैव वैविध्य एवं कार्य करने वाले युवा हाथ भी उसी के पास हैं परन्तु विडम्बना देखिये कि अधिकांश खाद्यान्नों जैसे दलहन, तिलहन आदि के लिये ये राष्ट्र परमुखापेक्षी अर्थात विदेशों पर अब भी निर्भर है ? जब एक विकाशशील राष्ट्र अपनी आय का बड़ा…
Read Moreस्वर्गीय वी०पी० सिंह का जन्मदिन “स्वाभिमान दिवस” घोषित किया जाएं!
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। सामान्य व्यक्ति के लिए शब्दार्थ और भावार्थ मे कोई अंतर नही होता है, किंतु एक लेखक के लिये जिस लिखित शब्द को पढ़ने मात्र से उस शब्द का अर्थ स्पष्ट जाये तो वह उस अर्थ को शब्दार्थ कहता है और वह पंक्तियो मे छुपे उस शब्द के भाव को व्यक्त करने को भावार्थ कहता है,परन्तु जनसाधारण की भाषा मे अर्थ और व्याख्या के बीच की चीज़ (विषय-वस्तु) को भावार्थ कहते है,जैसे :- सूफी संतो द्वारा प्रेम शब्द का उपयोग भगवान के लिये किया जाता…
Read Moreसांस्कृतिक राष्ट्रवाद के भीष्म पितामह अमीर खुसरो विश्वगुरु भारत की अनमोल धरोहर है
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। राष्ट्रवाद एक आधुनिक संकल्पना है जिसका विकास पुनर्जागरण के बाद यूरोप मे राष्ट्र आधारित राज्यो के रूप मे हुआ,वास्तव मे आधुनिक राष्ट्रवाद का उदय अट्ठारहवी सदी के लगभग युरोप मे हुआ था,किन्तु केवल दो-ढाई सौ साल के छोटे से काल मे यह विचार इतिहास मे एक शक्तिशाली राजनीतिक विचारधारा के रूप मे स्थापित हो गया है,क्योकि मनुष्य अपने आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक हितो को लेकर बेहद तंगनज़र और स्वार्थी हो गया है अर्थात उसे जोड़ने (Inclusive) के बजाय तोड़ने (Exclusive) मे ही अपना हित…
Read More15 जून विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस है आज
डॉ अनुरूद्ध वर्मा, एडीटर-ICN विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ल्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे अर्थात विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस का आयोजन प्रति वर्ष 15 जून को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य दुनिया में बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार के प्रति समाज मे जागरूकता उत्पन कर उसे रोकना है तथा उन्हें सम्मानजनक स्थान दिलाना है। बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार की गम्भीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि दुनिया में 60 वर्ष आयु…
Read Moreगेहूॅं की कटाई उपरान्त प्रबन्धन, भण्डारण एवं मूल्य संवर्धन
प्रो. आर0 के0 यादव, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, चॅं0 शे0 आ0 कृषि एवं प्रौ0 वि0 वि0 कानपुर & एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कानपुर। आज से छः दशक पहले जब देश में लोगों को पेट भरने के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड रहा था और खेती बहुत कम क्षेत्रफल पर होती थी, उस समय देश का खाद्यान्न उत्पादन 500 लाख टन था। आज यह बढकर लगभग 2900 लाख टन हो गया है। खाद्यान्न के कुल उत्पादन में 13.37 फीसदी हिस्सेदारी गेंहॅूं के रूप में सबसे बडे उत्पादक देश से है।…
Read Moreनस्लवाद और हमारी दोगली मानसिकता
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। “पृथ्वी पर स्वर्ग” जैसी कल्पना को साकार करने का दावा करने वाली अमेरिकी सरकार का मत है,कि वह दुनिया का सबसे बड़ा समतामूलक, स्वतंत्रतामूलक और न्यायमूलक राष्ट्र है,उसका स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी विश्व की सारी मानव जाति के मानवाधिकारो की रक्षा का प्रतीक है। तरक्की और ताकत के नशे मे चूर अमेरिका चीन, पाकिस्तान, ईरान और तीसरी दुनिया के देशो को मानवाधिकार के नाम पर धमकाता रहता है,उन पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने की बात करता है,अगर दूसरा देश उसकी बात ना माने तो वह…
Read Moreरक्षा-नीति की संवेदनशीलता और पेड मीडिया की बाज़ीगरी
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। कारगिल मे पाकिस्तानी सेना आराम से बंकर बनाते हुये घुसकर बैठ गई थी, लेकिन हमे उसकी भनक तक नही लगी थी, आज सेटेलाइट के युग मे जब हम आसमान से ज़मीन पर चल रही एक छोटी सी चींटी की एक मीटर लंबी पिक्चर बनाकर उसका अध्ययन कर सकते है,फिर भी इतनी तकनीकी प्रगति के बावजूद चीनी सेना तिब्बत मे घुसकर बैठ गयी और हमारी संस्थाएं सिर्फ हाथ मलती रह गई।यद्यपि इस तरह की घटनाओ का आरोप गुप्तचर संस्थाओ के मत्थे मढ़ दिया जाता है,जबकि देश की सुरक्षा…
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