उर्दू शायरी में ‘आसमान’ : 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर यह आसमान है क्या? सुनते हैं – दिन को नीला, रात को काला और कभी-कभी अपनी ही मनमर्ज़ी से रंग बदलने वाला यह आसमान सिर्फ़ एक फ़रेब भर है विज्ञान कहता है कि आसमान, आकाश, नभ, गगन, अंबर, फ़लक, अर्श या आप उसे जो भी कहते हैं, शून्य मात्र है। शून्य अर्थात ज़ीरो अर्थात कुछ भी नहीं। शून्य का कहीं कोई अस्तित्व नहीं होता लेकिन हमें तो सर के ऊपर इतना बड़ा आसमान दिखाई देता है जिसका न कोई ओर है न…

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तीन पीढ़ियों के जीवनानुभव के त्रिकोण पर उपजी कविताओं का कलरव

चन्द्रकान्त पाराशर (वरिष्ठ एसोसिएट एडिटर) ICN GROUP शिमला हिल्स : एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से जोड़ने का जरिया होते साहित्य की अभिवृद्धि के लिए निरंतर प्रयासरत हैं -एक पिता, दो पुत्र व एक सुपौत्री का लेखन-प्रवाह। मूलतःआगरा शहर की पृष्ठभूमि से जुड़े कवि अनिल कुमार शर्मा उनके दो सपुत्र दुष्यंत शर्मा व सिडनी- आस्ट्रेलिया निवासी जयंत शर्मा एक सुपौत्री गार्गी शर्मा (11 वर्षीय) साहित्य को अपने लेखन के माध्यम से लगातार नए आयाम देने में तत्पर हैं।इन सबके क्रमश 1. कहीं कुछ कम है -कविता संग्रह2. खामोशी का शोर…

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उर्दू शायरी में ‘आसमान’ : 1

  तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर यह आसमान है क्या? सुनते हैं – दिन को नीला, रात को काला और कभी-कभी अपनी ही मनमर्ज़ी से रंग बदलने वाला यह आसमान सिर्फ़ एक फ़रेब भर है। विज्ञान कहता है कि आसमान, आकाश, नभ, गगन, अंबर, फ़लक, अर्श या आप उसे जो भी कहते हैं, शून्य मात्र है। शून्य अर्थात ज़ीरो अर्थात कुछ भी नहीं। शून्य का कहीं कोई अस्तित्व नहीं होता लेकिन हमें तो सर के ऊपर इतना बड़ा आसमान दिखाई देता है जिसका न कोई ओर है…

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उर्दू शायरी में ‘ख़्वाब’

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप अगर ख़्वाब नहीं होते तो शायद हम इंसान भी नहीं होते। आदमी ख़्वाब देखता है लेकिन जानवर कभी ख़्वाब नहीं देखते। आदमी और जानवर के बीच सिर्फ़ ‘ख़्वाब’ ही मौजूद हैं।   हर तरक्की के पीछे हमेशा किसी का कोई ख़्वाब ही पोशीदा है। धरती पर सृष्टि के जन्म लेने से आज तक के सफ़र में करोड़ों अरबों ख़्वाब हैं जो लोगों की आँखों के समंदर में किसी किश्ती कि तरह तैरे और जिसमें से कुछ को तो किनारा मिला और बाकी को…

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उर्दू शायरी में ‘ख़्वाब’: 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप अगर ख़्वाब नहीं होते तो शायद हम इंसान भी नहीं होते। आदमी ख़्वाब देखता है लेकिन जानवर कभी ख़्वाब नहीं देखते। आदमी और जानवर के बीच सिर्फ़ ‘ख़्वाब’ ही मौजूद हैं। हर तरक्की के पीछे हमेशा किसी का कोई ख़्वाब ही पोशीदा है। धरती पर सृष्टि के जन्म लेने से आज तक के सफ़र में करोड़ों अरबों ख़्वाब हैं जो लोगों की आँखों के समंदर में किसी किश्ती कि तरह तैरे और जिसमें से कुछ को तो किनारा मिला और बाकी को समंदर…

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भारतीय संगीत के आदि प्रेरक

डॉ शिखा भदौरिया, असिस्टेंट एडिटर, ICN एंटरटेनमेंट नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदयेन च । मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद ॥  भावार्थ :- अमुक श्लोक में भगवान विष्णु जी कह रहे है, ” हे नारद ! ना तो मैं वैकुण्ठ में निवास करता हूँ , ना ही योगीजनों के हृदय में ही मेरा निवास है। मै तो वहाँ निवास करता हूँ जहां मेरे भक्तगण गायन-वादन करते है। ”  इस एक श्लोक से ही संगीत की प्रासंगिकता प्रदर्शित होती है की स्वयं ईश्वर भी संगीत को कितनी महत्ता देते है। जैसा…

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विश्व पी सी ओ एस जागरूकता माह : 1 सितंबर से 30 सितम्बर

डॉ अनुरूद्व वर्मा, एडीटर-ICN जरूरी है जागरूकता , बचाव एवं समय पर उपचार महिलाओं में आजकल पी सी ओ एस बहुत सामान्य समस्या हो गई है पहले जहां महिलाएं घर की चार दीवारी में ही अपना जीवन बिता देती थी लेकिन अब समय इतना बदल गया है कि आज महिलाएं घर और बाहर दोनों की जिम्‍मेदारी सभाल रही हैं जिससे उन्हें संतुलन बनाये रखने में अपने लिए समय निकालने में कठिनाई होती है। असमयभोजन , स्वास्थ्य की अनदेखी, मशीनी जीवनशैली और तनाव के कारण आजकल महिलाएं अनेक बीमारियों से ग्रस्त…

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उर्दू शायरी में ‘सच’ : 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप सच एक बहुत बड़ा तिलिस्म है। कहा जाता है कि सच बहुत कड़ुवा होता है लेकिन उसका परिणाम मीठा होता है। यह भी कहा जाता है कि सच अर्थात सत्य की सदैव जीत होती है। ‘सच को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं’ – एक कहावत यह भी है। कई धर्म ग्रंथ कहते हैं कि सच शाश्वत है तो कई ऐसी धार्मिक विचारधाराएँ भी हैं जो यह कहती हैं कि सच कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं हो सकता। राहत इंदौरी का वास्तविक नाम राहत…

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चुनाव आने ही वाले हैं

By : श्रेय शेखर छपरा : चुनाव आने ही वाले हैं और चुनावी मेंढक अपने वक़्त पर बाहर आ चुके हैं। जनता फिर से सवाल और उम्मीद की गठरी को लेकर अपनी बात रखना चाहती है पर नतीजा हमें पता है। इस सरगर्मी को सबसे नजदीक से बिहार के लोग महसूस कर रहे हैंए वो इसलिए क्यूंकि यहाँ नेता के साथ काफी आपसी सहमति रहती है। वह अपने आस पास रहने वालों का ध्यान बस अभी ही दे पाते हैं। चुनाव की गरिमा का पूरा मज़ाक बना कर अपने देश…

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उर्दू शायरी में ‘सच’ : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप सच एक बहुत बड़ा तिलिस्म है। कहा जाता है कि सच बहुत कड़ुवा होता है लेकिन उसका परिणाम मीठा होता है। यह भी कहा जाता है कि सच अर्थात सत्य की सदैव जीत होती है। ‘सच को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं’ – एक कहावत यह भी है। कई धर्म ग्रंथ कहते हैं कि सच शाश्वत है तो कई ऐसी धार्मिक विचारधाराएँ भी हैं जो यह कहती हैं कि सच कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं हो सकता। बशीर बद्र उर्दू साहित्य के उन…

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