सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप ये ठीक है हर एक के वो यार नहीं हैं मेरे लिए बिल्कुल भी वो दुश्वार नहीं हैं correct she is not close to all and sundry Not at all she is difficult to me तुमको ही मुबारक हो ये अंदाज़ तुम्हारा हम ऐसी मोहब्बत के तलबगार नहीं है Keep such style of love to yourself, yours typically I do not desire that I say this regretfully जो हाल हुआ मेरा सबब उसका वही है मैंने जो ये समझा था वो बेदार नहीं हैं The…
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ग़ज़ल
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप वो मुझसे मुलाक़ात की तदबीर करे गा कुछ रंग यक़ीनन वो मेरे दिल में भरे गा The beloved will design for meeting some strategy Would fill my heart with some colors decidedly ये तये हुआ देखा जो उसे पहली नज़र ने वो ऐसा हसीं है कि जो मन मेरा हरे गा On first sight it was apparent certainty That she would capture my heart has such beauty मैं सोचता हूँ ग़ैर से उसकी हुई क़ुरबत दिन आ गए अब उसके वो बेमौत मरे…
Read Moreग़ज़ल/GHAZAL
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप ये ठीक है हर एक के वो यार नहीं हैं मेरे लिए बिल्कुल भी वो दुश्वार नहीं हैं correct she is not close to all and sundry Not at all she is difficult to me तुमको ही मुबारक हो ये अंदाज़ तुम्हारा हम ऐसी मोहब्बत के तलबगार नहीं है Keep such style of love to yourself, yours typically I do not desire that I say this regretfully जो हाल हुआ मेरा सबब उसका वही है मैंने जो ये समझा था वो बेदार नहीं हैं The…
Read Moreउर्दू शायरी में ‘आसमान’ : 1
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आखिर यह आसमान है क्या? सुनते हैं – दिन को नीला, रात को काला और कभी-कभी अपनी ही मनमर्ज़ी से रंग बदलने वाला यह आसमान सिर्फ़ एक फ़रेब भर है। विज्ञान कहता है कि आसमान, आकाश, नभ, गगन, अंबर, फ़लक, अर्श या आप उसे जो भी कहते हैं, शून्य मात्र है। शून्य अर्थात ज़ीरो अर्थात कुछ भी नहीं। शून्य का कहीं कोई अस्तित्व नहीं होता लेकिन हमें तो सर के ऊपर इतना बड़ा आसमान दिखाई देता है जिसका न कोई ओर है न कोई छोर। जो दिखता है, वह है नहीं और…
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सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप वो मुझसे मुलाक़ात की तदबीर करे गा कुछ रंग यक़ीनन वो मेरे दिल में भरे गा The beloved will design for meeting some strategy Would fill my heart with some colors decidedly ये तये हुआ देखा जो उसे पहली नज़र ने वो ऐसा हसीं है कि जो मन मेरा हरे गा On first sight it was apparent certainty That she would capture my heart has such beauty मैं सोचता हूँ ग़ैर से उसकी हुई क़ुरबत दिन आ गए अब उसके वो बेमौत मरे गा I…
Read Moreशाहरुख़ खान ने उभरते हुए शायर तारिफ नियाज़ी का शेर ट्वीट किया।
मोहम्मद सलीम खान (एसोसिएट एडिटर) आई सी एन “”माँ के पैरों में देखी ली जन्नत लोग जन्नत में मर के जाते है।” ( तारिफ नियाज़ी) सहसवान/ बदायूं………… सहसवान, रामपुर घराना बरसों से सहसवान और रामपुर का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रहा है। सहसवान रामपुर घराने से ताल्लुक रखने वाले आलमी शोहरत याफ़्ता (World Fame) शायर ताहिर फराज़ ने हिंदुस्तानी ही नहीं बल्कि बैरूनी मुमालिक (Abroad) में बड़े-बड़े मुशायरों में अपने खूबसूरत व जादुई कलाम से लोगों को न सिर्फ अपना मुरीद बनाया बल्कि रामपुर, सहसवान का नाम पूरी…
Read Moreएक कदम और : चांदनी में काव्य स्नान
लखनऊ/26.12.2021 : सुधियों की चांदनी में जी भर काव्य-स्नान। अवसर था स्मृति शेष गीतकार निर्मलेंदु शुक्ल की रचनाओं की उनके मरणोपरांत प्रकाशित कृति ‘सुधियों की चांदनी’ का लोकार्पण व कवि के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा का। ‘आई सी एन मीडिया ग्रुप’ (आई सी एन) व उसकी सहयोगी संस्था ‘स्कालर इंस्टीट्यूट अॉफ मीडिया स्टडीज़’ (सिम्स) ने साहित्य, संस्कृति व भारतीय जीवन की सकारात्मकता के प्रति इसी विश्वास के पुनर्जागरण हेतु संयुक्त रूप से सकारात्मक इवेंट्स की एक श्रृंखला ‘एक कदम और’ (वन स्टेप मोर) प्रारंभ की जिसके तृतीय कदम के…
Read Moreएक कदम और : ‘एक दोपहर सितारों भरी’
लखनऊ/04.12.2021 : लगभग दो वर्षों से निरंतर वैश्विक महामारी के हिम में कहीं गहरे नीम बेहोशी से जूझती ज़िंदगी अब पुनः कसमसाने लगी है और ज़िंदगी में जीवित होने के लक्षण फिर दिखाई देने लगे हैं। विश्व को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता है कि वह गंभीर व अविश्वसनीय क्षति के बावजूद सांसे ले रहा है और अभी तक ज़िंदा है। बहुत ज़रूरी है कि हम अपनी धड़कनों के संगीत को फिर सुने, शिराओं मे बहते खून की रफ़्तार को फिर महसूस करें और अपने मस्तिष्क को गुफ़्तगू करके फिर…
Read Moreआई सी एन व सिम्स का संयुक्त ‘एक कदम और’
लखनऊ/16.10.2021 : दो वर्ष से निरंतर वैश्विक महामारी से जूझते विश्व को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता है कि वह गंभीर व अविश्वसनीय क्षति के बावजूद सांसे ले रहा है और अभी तक ज़िंदा है। बहुत ज़रूरी है कि हम अपनी धड़कनों के संगीत को फिर सुने, शिराओं मे बहते खून की रफ़्तार को फिर महसूस करें और अपने मस्तिष्क को गुफ़्तगू करके फिर बतायें कि यह सच है कि हमने बहुत कुछ खो दिया है लेकिन यह भी सच है कि अभी भी हमारे पास बहुत कुछ शेष है।…
Read Moreउर्दू शायरी में ‘चेहरा’ : 4
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कितना ज़रूरी होता है हर एक के लिये एक अदद चेहरा यानी सूरत यानी शक्ल यानी रुख़। कभी- कभी सोचता हूँ कि अगर यह दुनिया ‘बेचेहरा’ होती तो क्या होता। इस बेचेहरा दुनिया में कौन किसको पहचानता और कौन किसको याद रखता। भला बिना पहचान की वह दुनिया कैसी होती। कितनी दुर्घटनाएं होतीं, कितने हादसे होते। सवेरे कोई किसी के साथ होता तो शाम को किसी के साथ। सिलीब्रटीज़ के बड़े-बड़े पोस्टर्स में आखिर क्या दिखाया जाता? पुलिस भला किसकी रपट लिखती और…
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