उर्दू शायरी में ‘आँसू’ : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  हर ‘आँसू’ यानी ‘अश्क’ की अपनी ही कहानी है। चाहे खुशी हो या ग़म, आँसू अपनी दोस्ती हमेशा ही शिद्दत से निभाते हैं। सत्यता यह है कि आँसू के खारे पानी में वह आग है जो दिल पर जमी बर्फ़ को गला देती है और उसके बाद आदमी अपने-आप को हमेशा ही हल्का और तरोताज़ा महसूस करता है। पं० आनंद नारायण मुल्ला वर्ष 1901 में जन्मे और वर्ष 1997 में उनका निधन हुआ। पं० आनंद नारायण मुल्ला अत्यंत विद्वान थे तथा वे इलाहाबाद…

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शब्द उमड़ रहे हैं, घुमड़ रहे हैं

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P. शब्द उमड़ रहे हैं, घुमड़ रहे हैं मेरे और तुम्हारे भीतर वाक्य बनने को लालायित, आतुर ध्वनियों की सीमा नहीं चाहिए उन्हें भी आकार प्रखर बनने से पूर्व ज्वाला का एक आहार जीवन से प्रेरित आहट टूटी सी सहमी सहमी सन्देह करेगी सदियों पर अनचाहा गर्भस्थ शिशु जैसे अचानक चिहुँक उठेगा हौले से बोलेगा ‘ माँ ’ एकान्त में एक दिवस विश्व के कोलाहल से दूर अंचल के पास माँ उसे चुमकारे जैसे एक ही अतीत नहीं कई से इतिहास व्याकुल हैं शब्दों की उमड़न से घुमड़न से चेतनता अस्तित्व के…

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उर्दू शायरी में ‘आँसू’ : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  हर ‘आँसू’ यानी ‘अश्क’ की अपनी ही कहानी है। चाहे खुशी हो या ग़म, आँसू अपनी दोस्ती हमेशा ही शिद्दत से निभाते हैं। सत्यता यह है कि आँसू के खारे पानी में वह आग है जो दिल पर जमी बर्फ़ को गला देती है और उसके बाद आदमी अपने-आप को हमेशा ही हल्का और तरोताज़ा महसूस करता है। कभी-कभी तो आँसू भी घड़ियाली होते हैं जो दिल से नहीं, सिर्फ़ आँखों से बरसते हैं। आँसुओं की अपनी जु़बान है। ज़िंदगी के जितने फ़लसफ़े…

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अमेरिका की जेलों में गुजारे 13 वर्षों ने मेरी ईमानदारी और सहनशक्ति का टेस्ट लिया: लाल भाटिया

सच्ची घटनाओं पर आधारित लेखक लाल भाटिया की किताब प्रकाशित सोचिए, अगर आपको किसी दूसरे देश में बिना किसी सपोर्ट सिस्टम के अपनी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़े, अपने ही परिवार के सदस्यों से धोखा खाना पड़े और मुकदमे का सामना करना पड़े?तो यह कितना कठिन लगता है। खैर, यह लेखक लाल भाटिया की पुस्तक इंडिक्टिंग गोलियत ’की वन लाईनर है जो एक ऐसे व्यक्ति की वास्तविक जीवन की कहानी है जिसे अमेरिका में एक वकील के बिना न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा था जब उसकी पूर्व पत्नी के…

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उर्दू शायरी में ‘धूप’: 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  धूप रंगीन भी है, चमकदार भी, उजली भी और ज़िन्दगी की पर्याय भी है। वहीं यह वक़्त की सख़्ती, कड़ी मेहनत और मुसीबतों की लड़ी की भी मिसाल है। इसके बहुत से अर्थ हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में बिल्कुल अलग-अलग चित्र बनाते हैं। जिसके जैसे अनुभव हैं, उसने धूप का वही रुख़ हमारे सामने अपने अशआरों के माध्यम से किया। धूप के बिना भी नहीं रहा जा सकता और मुसलसल धूप के साथ भी नहीं रहा जा सकता। सच कहा जाये तो हम…

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फोटो

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P.  कहानी  अपनी गाड़ी वर्कशाप में देने के बाद, मैं चौराहे की ओर बस स्टडैण्ड की तरफ निकल गया। शायद इस गरज से कि बस या टैक्सी कुछ भी मिल जाये तो घर चला जाय। इस चिलचिलाती धूप में पैदल जाने से तो बेहतर ही होगा।    किस्मत अच्छी थी सामने ही एक घर की तरफ जाने वाली बस खड़ी दिख गई। मैं बेझिझक उसमें चढ़ गया। बस बिल्कुल खाली थी। शायद दो या चार सवारियाँ | मैं आगे से तीसरी सीट पर बाई तरफ बैठ गया।…

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ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप अजीब अजीब हालात में हमारी शाइरी होती है। एक अच्छे ख़याल का तकाज़ा एक शेर होता है लेकिन अगर शेर बन गया तो उसके अहतराम में हम पूरी ग़ज़ल कहते फरमाइशी शाइरी की लातादाद मिसालें हमारे स्टॉक में हैं तौसीफ अरशद वली दावर रज़ा जैसे नौजवानों की फरमाइशें इससे कुछ पहले शेख असद आमिर मुस्तफ़वी ने न जाने कितनी ग़ज़लें कहलाईं बड़ों में संजय शौक़ अशर अलीग तरुण प्रकाश जी का नाम भी इसी फेहरिस्त में आता वो फेहरिस्त जिसके प्रथम स्थान पर खानकाहे काज़मिया…

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उर्दू शायरी में ‘धूप’: 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  धूप का ख़याल आते ही ज़ह्न में रोशनी और तपन भर जाती है। धूप रोशनी भी है और ज़िंदगी भी। धूप अगर जीवन के चमकदार पक्ष की वकालत करती है तो वह जीवन के जलते हुये सफ़र की साक्षी भी है।   धूप के अनेकों रंग हैं और वैज्ञानिक तथ्य तो यह है कि जब सारे रंग एक साथ मिल जाते हैं तो ‘धूप’ बन जाती है। उर्दू शायरी में इस बहुआयामी धूप को तरह-तरह से परिभाषित करने की कोशिशें हुई हैं लेकिन…

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उर्दू शायरी में ‘धूप’: 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  धूप का ख़याल आते ही ज़ह्न में रोशनी और तपन भर जाती है। धूप रोशनी भी है और ज़िंदगी भी। धूप अगर जीवन के चमकदार पक्ष की वकालत करती है तो वह जीवन के जलते हुये सफ़र की साक्षी भी है। धूप के अनेकों रंग हैं और वैज्ञानिक तथ्य तो यह है कि जब सारे रंग एक साथ मिल जाते हैं तो ‘धूप’ बन जाती है।   उर्दू शायरी में इस बहुआयामी धूप को तरह-तरह से परिभाषित करने की कोशिशें हुई हैं लेकिन…

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ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप  इम्तिहां  लेता है वह जाने बहारां सौ-सौ सामने मेरे बहकने के हैं सामां सौ-सौ She puts me to test hundred times excessively When I have before eyes things allury so many हमने पूछा की  कहें तुमसे हम इक अपनी तलब उसका लहराते हुए कहना कि “हाँ हाँ” सौ-सौ I sought permission to tell one demand mine She replied joyously ,”yes” “yes”-“hundred”-  “hunder ” “thou pine” तीरे-ए  नादीदा ने घायल किया दिलदार का दिल साथ उसके रहे उसके थे निगह्बां  सौ-सौ The unseen arrow wounded boloved’s…

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