गीत-गीता : 7

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 8-14)   अर्जुन : (श्लोक 4-8)   है किसे पता क्या होगा, परिणाम युद्ध का माधव। कौरव को विजय मिलेगी, या रण जीतेंगे पांडव।।(8)   जो खड़ा सामने कुरु दल, वे भी हैं अपने भ्राता । उनके ही वध करके, क्या सुख से जुड़ पाये नाता?(9)   हे नाथ, भ्रमित मति मेरी, कायरता, भय जगते हैं। आयुध हितकर कब मुझको अब किंचित भी लगते हैं।। (10)   क्या धर्म भला इस पल है, …

Read More

गीत-गीता : 6

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 1-7)   संजय : (श्लोक -1)   शोकाकुल अर्जुन बैठे, व्याकुल आहत निष्क्रिय से। नयनों में नीर भरे हैं, चिंतित ‘होनी’ के भय से।।(1)   तूफानों में ज्यों नैया, पतवार रहित हो डोले। यह दशा देख अर्जुन की, मधुसूदन उनसे बोले।।(2)   श्रीकृष्ण : (श्लोक 2-3)   कौंतेय, उचित क्या अवसर, इस भाँति आचरण का है? जब प्रश्न युद्ध में केवल, विश्वास जागरण का है।।(3)   हे वीर सखा, यह क्रंदन, उस पर…

Read More

गीत-गीता : 5

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) प्रथम अध्याय (अर्जुन विषाद योग) (छंद 29-34)   अर्जुन : (श्लोक 28-46)   मारकर धृतराष्ट्र की संतान हमको क्या मिलेगा। पापियों को मारकर भी पाप हमको ही लगेगा।। है नहीं सामर्थ्य मुझमें, बांधवों को मारने का। फल अधिक मीठा मिलेगा,युद्ध फिर भी हारने का।।(29)   मानता हूँ भ्रष्ट हैं सब, लोभ में भटके हुये हैं। स्वार्थ सबके नीतिगत अन्याय में अटके हुये हैं।। जानते हैं किंतु हम कुलनाश है अपराध भारी। पाप से उन्मुक्ति की क्यों रीति न…

Read More

गीत-गीता : 4

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) प्रथम अध्याय (अर्जुन विषाद योग) (छंद 22-28)   अर्जुन : (श्लोक 28-46)   हे महागिरिधर, शिथिल सब अंग मेरे हो रहे हैं। भार तृण पर्वत सरीखा व्यर्थ इनका ढो रहे हैं।। रोम हर रोमांच में है, सूखता है मुख निरंतर। तन निरंतर कांपता है, ज्यों हवा में वृक्ष थर-थर।।(22)   अब संभलता ही नहीं है, हाथ में गाँडीव मेरे। जल रही है यूँ त्वचा, हो ज्यों सघन ज्वर गात घेरे।। मन भ्रमित सा हो रहा है, है ह्रदय,…

Read More

गीत-गीता : 3

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) (छंद 15-21) संजय : (श्लोक 12-27) फिर युधिष्ठिर ने बजाया शंख अपना अनंतविजयम। शंखध्वनि का नाद स्वर से हो रहा रण बीच संगम।। तब नकुल ने शंख अपना भी बजाया है गरज कर। और फिर सहदेव मणिपुष्पक बजाते हैं निरंतर।।(15)   श्रेष्ठ काशीराज, सात्यिक, द्रुपद, वीर विराट डोले। वीर अभिमन्यु, शिखंडी, धृष्टद्युम्न के शंख बोले।। द्रोपदी के पुत्र पाँचों, शंख के मु़ँह खोलते हैं। इस महास्वर से डरे, कुरु वक्ष सारे डोलते हैं।।(16)   पार्थ ने ले शस्त्र…

Read More

गीत-गीता : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) प्रथम अध्याय (अर्जुन विषाद योग) (छंद 8-14)   दुर्योधन : (श्लोक 3-11) पक्ष में निज वीर भी, परिचित कराता आप से मैं। आप सा पा श्रेष्ठ योद्धा, मुक्त हूँ संताप से मैं ।। हैं पितामह भीष्म की, अब तक न युग में काट कोई। कर्ण के आगे ठहर सकता नहीं सम्राट कोई।।(8)   अश्वत्थामा आपका ही पुत्र निज दल में खड़ा है। हैं कृपा आचार्य दल में, नाम ही जिनका बड़ा है।। भूरिश्रेवा है महायोद्धा, सभी यह जानते…

Read More

गीत-गीता : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) प्रथम अध्याय (अर्जुन विषाद योग) (छंद 1-7)   धृतराष्ट्र : (श्लोक 1) व्यग्रता है जानने की जो घटा रणक्षेत्र में है । कल्पना का चित्र केवल दृष्टि वंचित नेत्र में है।। युद्ध की उस धर्म-धरती पर सजी क्या हैं बिसातें। युद्ध को तत्पर, जो न उत्साह से फूले समाते।। (1)   पुत्र मेरे श्रेष्ठ हैं कुरुवंश के उद्दाम योद्धा। शीर्ष अनगिन सम्मिलित निज सैन्यदल में हैं पुरोधा।। देखते जो दिव्य नयनों से, मुझे बतलाओ,संजय! पाण्डु पुत्रों की दशा…

Read More

परीक्षा का परिणाम नही, बल्कि परीक्षा के खत्म होने का जश्न है; ईद-उल-फितर।

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली: स्नातकोत्तर कक्षा की वार्षिक परीक्षा के दौरान कठिन प्रश्नपत्रो वाले सत्र के समाप्त होने के बाद जो राहत महसूस होती है,वही राहत और खुशी एक रोज़दार को रमज़ान रूपी इस्लाम के सालाना परीक्षा सत्र के खत्म हो जाने के बाद होती है। अभी तो परिणाम नही आया है, फिर इतना खुश क्यो हो रहे हो? जब यह प्रश्न परीक्षार्थी छात्र से पूछा जाता है तो वह कहता है; “कर्म कर फल की चिंता ना कर!” मेरा काम अच्छे से परीक्षा देना था और अब…

Read More

सहनशीलता, दानशीलता और त्यागशीलता का पर्व है; “रमज़ान”

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली: ‘मोमिन के लिये दुनिया इम्तिहान का मुक़ाम है” बुजुर्गो का यह वाक्य बचपन से ही हर मुसलमान बालक के मस्तिष्क पर अंकित हो जाता है, हालाकि युवा मन बड़ा कोमल किंतु चंचल होता है फिर भी वह मासूम अपनी कल्पना की उड़ानो को लगाम लगाता है, क्योकि उसे संदेश मिल चुका है कि यह संसार सिर्फ एक परीक्षा स्थल है।चूँकि घर व्यक्ति के लिये सबसे बड़ी पाठशाला होती है, इसलिये बचपन से ही बच्चो को शिक्षित किया जाता है, कि अपनी ‘इच्छाओ पर नियंत्रण रखे, ‘महत्वाकांक्षाओ…

Read More

“इंद्रियो पर नियंत्रण करने का अभ्यास” अथवा “इंद्रियो पर विजय पाने का अस्त्र” है “रोज़ा”

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली: रोज़ा का मतलब सिर्फ खाना पीना छोड़ देना नही है, बल्कि वचन और कर्म से हिंसा करना, असत्य बोलना, अभद्र भाषा और अश्लील शब्दो का उपयोग करना, फालतू बहस करना भी वर्जित है, घमंड, ईर्ष्या, क्रोध और वासना पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है। (सहल बिन साद ने सुनाया, कि पैगंबर साहब ने कहा, “जो कोई भी मुझे जांगो के बीच (उसके निजी अंगो) और जबड़े के बीच (उसकी जीभ) की परहेज़गारी (पवित्रता) की ज़मानत (गारंटी) देता है, मै (उसको) स्वर्ग की ज़मानत (गारंटी)…

Read More